Hindi, asked by pppppeveJmVI, 1 year ago

Summary of "Jamun ka ped" in hindi for cbse class 11

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Answered by ishaagrawal
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जामुन का पेड़

जामुन का पेड़ लेखक कृश्नचंदर की एक हास्य व्यंग्य रचना है | इस कहानी के माध्यम से लेखक ने हमारे देश में नौकरशाही की व्यवस्था पर चोट किया है | ये कहानी साफ़ करती है की कैसे एक छोटे से छोटे काम के लिए हम दफ्तर से दफ्तर , डिपार्टमेंट से डिपार्टमेंट घूमते रहते हैं और फिर भी हमारा काम होने की उम्मीद नहीं होती |
एक रात बहुत ज़ोर की आंधी आई और सेक्रेटेरिएट की ऑफिस की लॉन में एक जामुन का पेड़ था जो उस आंधी से गिर गया और उसके नीचे एक आदमी दब गया | माली ने सवेरे जब ये देखा तो दौड़ा दौड़ा क्लर्क के पास जाकर सब बताया | उस पेड़ के चारों तरफ भीड़ इकठ्ठा हो गयी पर उस आदमी की चिंता किसी ने न की | सभी उस पेड़ के लिए हमदर्दी जता रहे थे की वह पेड़ कितना फलदार था, जामुन रसीले होते थे और वो अपने बच्चो के लिए ले जाते थे | उस माली ने जब उस आदमी का जिक्र किया तब सभी ने बड़े ठंडे भाव से यही कहा की वो मर गया होगा | उस आदमी ने आवाज़ लगायी की वो जिन्दा है और उसे निकाला जाए | पहले तो सब असमंजस में पड़े की वो पेड़ बहुत भरी है पर फिर सभी साथ मिलकर उस पेड़ को हिलाने में लग गए | तभी एक सुपरिंटेंडेंट बोला की वो अंडर सेक्रेटरी से इजाज़त लेगा | अंडर सेक्रेटरी डिप्टी सेक्रेटरी के पास , डिप्टी सेक्रेटरी जॉइंट सेक्रेटरी के पास , जॉइंट सेक्रेटरी चीफ़ सेक्रेटरी के पास और चीफ़ सेक्रेटरी मिनिस्टर के पास गया फिर आदेश कानो कान होते हुए वापस आए जिसमे आधा दिन चला गया | फैसला हुआ की ये समस्या व्यापार विभाग नहीं बल्कि कृषि विभाग का है क्यूंकि यह पेड़ से सम्बंधित है | फ़ाइल बनाकर कृषि विभाग भेज दी गयी जहा से जवाब अगले दिन आया की पेड़ हटाने की समस्या व्यापार विभाग का ही है क्यूंकि पेड़ उनकी लॉन में गिरा है| उस दिन भी फ़ाइल दोनों विभागों में घुमती रही और अंत में वो फ़ाइल हॉर्टिकल्चर विभाग गयी क्यूंकि वह फलदार पेड़ था और ये फल से जुड़ा मामला था| उस दबे हुए आदमी की सुध सिर्फ वो बेचारा माली लेता रहा , उसे खाना खिलाया और उसके परिवार को खबर करने की बात कही जिसपे आदमी ने कहा की उसका कोई वारिस नहीं है |तीसरे दिन हॉर्टिकल्चर का जवाब बड़ा ही शर्मनाक था | उस आदमी की परवाह न करते हुए जवाब आया की वो पेड़ फलदार था और जनता जामुनों को बड़े चाव से खाती थी , पेड़ बचाओ वाले ज़माने में पेड़ काटने की बात वो सोच भी नहीं सकते थे | अब लोगो ने यह कहना शुरू किया की जब पेड़ नहीं काटा जा सकता तो आदमी को काटकर निकल लिया जाए | आदमी के मरने की चिंता नहीं थी क्यूंकि प्लास्टिक सर्जरी से उसको फिर जोड़ा जा सकेगा इसलिए वो मामला अब मेडिकल विभाग गया | दूसरे दिन वहा का सबसे योग्य सर्जन सब मुयायना करने आया और बोला की आदमी मर जाएगा जिससे सर्जरी का फैसला टल गया | रात को खाना खिलते समय माली उसे हिम्मत बंधा रहा था जिसपे उस आदमी ने शायरी में अपना दुख बताया | अब यह बात कानो कान फैली की दबा आदमी शायर है | वहा शायरी करने वालों और सुनने के शौकीनों की भीड़ इकठ्ठा हो गयी तब वह मामला कल्चरल डिपार्टमेंट का बन गया | वहां से भी फ़ाइल घुमती हुई साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी के पास पहुची जो उस आदमी का इंटरव्यू तक लेने आया | जब उसे मालूम हुआ की वो आदमी बड़ा कवी है पर अकादमी का मेंबर नहीं तो उसने अगले दिन यह कह दिया की वो अब मेंबर है पर पेड़ काटने का मामला वन विभाग का है | दूसरे दिन यानी की सातवे दिन जब वन विभाग के लोग आए तो मालूम पड़ा की विदेश विभाग ने पेड़ ना काटने का हुक्म दिया है क्यूंकि पिटोनिया के प्रधान मंत्री ने यह पेड़ लगाया था और इसे काटने से दोनों देशो के सम्बन्ध बिगड़ जाएंगे | फिर ये कहा गया की शाम को फ़ाइल प्रधान मंत्री को पेश किया जाएगा | शाम पांच बजे स्वयं सेक्रेटरी आकर बोला की आदेश आ चुका है और पेड़ अब कट जाएगा और वो आजाद हो जाएगा | पर तब तक देर हो चुकी थी और वो आदमी चल बसा |
Answered by jittumharana2562
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Answer:

shi SK wo zo Cochran Google

Explanation:

ywgktagz. dsmv na

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