Hindi, asked by rajeeviitdeloyhjdi, 1 year ago

Summary of kahani jaha pahiya hai

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Answered by sreeraj2
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पुडुकोट्टई (तमिलनाडु): साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन हैं। कुछ अजीब-सी बात है-है न! लेकिन चौंकने की बात नहीं है। पुडुकोट्टई जिले की  हजारों नवसाक्षर ग्रामीण महिलाओं के लिए यह अब आम बात है। अपने पिछडेपन पर लात मारने, अपना विरोध व्यक्त करने और उन जंजीरों को तोडने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं। कभी-कभी ये तरीके अजीबो-गरीब होते हैं।

   भारत के सर्वाधिक गरीब जिलों में से एक है पुडुकोट्टई। पिछले दिनों यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता आजादी और गतिशीलता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रुप में साइकिल को चुना है। उनमें से अधिकांश नवसाक्षर थीँ। अगर हम दस वर्ष से कम उम्र की लडकियों को अलग कर दें तो इसका अर्थ यह होगा कि यहाँ ग्रामीण महिलाओं के एक-चौथाई हिस्से ने साइकिल चलाना सीख लिया हैं और इन महिलाओं में से सत्तर हजार से भी अधिक महिलाओं ने प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता जैसे सार्वजानिक कार्यक्रमों में बडे गर्व के साथ अपने नए कौशल का प्रदर्शन किया और अभी भी उनमें साइकिल चलाने की उच्छा जारी है। वहाँ इसके लिए कई प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं।

Answered by Suhana17
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'जहाँ पहिया है' पाठ में लेखक पी. साईनाथ ने तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव की स्त्रियों द्वारा संचालित 'साइकिल आंदोलन' का वर्णन किया है। यह पाठ इस आंदोलन को अपना समर्थन देने हेतु ही लिखा गया है। वहाँ की महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों और स्वतंत्रता हेतु साइकिल आंदोलन का आरम्भ करना, एक बड़ी घटना थी। वहाँ की कुछ औरतों ने पुडुकोट्टई की औरतों को जागृत करने का प्रयास किया। यह बहुत उत्तम प्रयास था, जो सफल भी रहा। बेशक साइकिल चलाना कोई बड़ी बात नहीं है पर एक रूढ़िवादी पृष्ठभूमि वाले गाँव के लिए तो यह एक बहुत बड़ा प्रश्न था। उनके विरूद्ध खड़े होकर 'साइकिल' को अपनी प्रगति के लिए चुनना यह सिद्ध करता है कि स्त्री शक्ति चाहे तो कुछ भी करने में समर्थ है। 
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