Hindi, asked by ayush9899, 4 months ago

summary of kartos plz answer ​

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Answered by BrainlyAlienBrain
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कारतूस वजीर अली पर आधारित कहानी है। इस कहानी में उस साहसी व्यक्ति के कारनामों का वर्णन किया गया है। वजीर अली अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का पुत्र था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने उसे शासन से वचिंत कर उसके चाचा को उसके राज्य को सौंप दिया था। तब से वह अंग्रेजों का कट्टर विरोधी हो गया। उसका यही उद्देश्य था की अंग्रेजों को अपने देश से निकाल बाहर करना। वह इतना बहादुर व निडर व्यक्ति था की अकेले ही अंग्रेजी सेना के खेमे में घुसकर अंग्रेंजी अफ़सर से कारतूस प्राप्त कर लिया। उसकी बहादुरी के आगे वह अफ़सर भी नतमस्तक हो गया।

Answered by Anonymous
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प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है, जिसका केवल एक ही लक्ष्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने चार व्यक्तियों का वर्णन किया है, वे हैं - कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और सवार।

प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है, जिसका केवल एक ही लक्ष्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने चार व्यक्तियों का वर्णन किया है, वे हैं - कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और सवार।

प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे अपनी जान पर खेल जाने वाले शूरवीर के कारनामों का वर्णन किया गया है, जिसका केवल एक ही लक्ष्य था-अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना। प्रस्तुत पाठ में लेखक ने चार व्यक्तियों का वर्णन किया है, वे हैं - कर्नल, लेफ़्टीनेंट, सिपाही और सवार। कर्नल और लेफ्टिनेंट आपस में वज़ीर अली के कारनामों की बात करते हुए कहते है कि वज़ीर अली ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा है और उसको देख कर उन्हें रॉबिनहुड की याद आ जाती है। फिर कर्नल लेफ्टिनेंट को सआदत अली यानि वज़ीर अली के चाचा के बारे में बताता है की किस तरह वो वज़ीर अली के पैदा होने से दुखी था और अंग्रेजो का मित्र बन गया था। अवध के सिंहासन पर बने रहने के लिए उसने अंग्रेजो को अपनी आधी दौलत और दस लाख रूपए दिए थे।लेफ्टिनेंट को जब पता चलता है की हिंदुस्तान के बहुत से राजा, बादशाह और नवाब अफगानिस्तान के नवाब को दिल्ली पर हमला करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तो लेफ्टिनेंट की बातों में हामी भरते हुए कर्नल कहता है, कि अगर ऐसा हुआ तो कंपनी ने जो कुछ हिन्दुस्तान में हासिल किया है वह सब कुछ गवाना पड़ेगा।

लेफ्टिनेंट को जब पता चलता है की हिंदुस्तान के बहुत से राजा, बादशाह और नवाब अफगानिस्तान के नवाब को दिल्ली पर हमला करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं तो लेफ्टिनेंट की बातों में हामी भरते हुए कर्नल कहता है, कि अगर ऐसा हुआ तो कंपनी ने जो कुछ हिन्दुस्तान में हासिल किया है वह सब कुछ गवाना पड़ेगा। कर्नल की बातों को सुन कर लेफ्टिनेंट कर्नल से कहता है कि वज़ीर अली की आजादी अंग्रेजों के लिए खतरा है। इसलिए अंग्रेजों को किसी भी तरह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना ही चाहिए। कर्नल कहता है कि तभी तो वह अपनी पूरी फ़ौज को ले कर उसका पीछा कर रहा है और वज़ीर अली उनको सालों से धोखा दे रहा है। वज़ीर अली बहुत ही बहादुर आदमी है। वज़ीर अली ने कंपनी के एक वकील की हत्या भी की है। कर्नल ने हत्या की घटना का वर्णन करते हुए कहा कि वजीर अली को उसके पद से हटाने के बाद अंग्रेजों ने वजीर अली को बनारस भेज दिया था, कुछ महीनो के बाद गवर्नर जनरल वजीर अली को कलकत्ता (कोलकता) में बुलाने लगा। वज़ीर अली ने कंपनी के वकील से शिकायत की किगवर्नर जनरल उसे कलकत्ता बुला रहा है। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत पर कोई गौर नहीं किया और उल्टा वज़ीर अली को ही बुरा-भला कहने लगा। वज़ीर अली के दिल में तो पहले से ही अंग्रेजों के खिलाफ नफ़रत कूट-कूटकर भरी हुई थी और वकील के इस तरह के व्यवहार ने वज़ीर अली को गुस्सा दिला दिया और उसने चाकू से वहीँ वकील की हत्या कर दी।

गवर्नर जनरल उसे कलकत्ता बुला रहा है। वकील ने वज़ीर अली की शिकायत पर कोई गौर नहीं किया और उल्टा वज़ीर अली को ही बुरा-भला कहने लगा। वज़ीर अली के दिल में तो पहले से ही अंग्रेजों के खिलाफ नफ़रत कूट-कूटकर भरी हुई थी और वकील के इस तरह के व्यवहार ने वज़ीर अली को गुस्सा दिला दिया और उसने चाकू से वहीँ वकील की हत्या कर दी।कर्नल लेफ्टिनेंट को समझाता है कि वज़ीर अली किसी भी तरह नेपाल पहुँचना चाहता है। वहाँ पहुँच कर उसकी योजना है कि वह अफगानिस्तान का हिन्दुस्तान पर हमले का इंतजार करेगा, अपनी ताकत को बढ़ाएगा, सआदत अली को सिंहांसन से हटाकर खुद अवध पर कब्ज़ा करेगा और अंग्रेजों को हिन्दुस्तान से निकालेगा। अंग्रेजी फ़ौज और नवाब सआदत अली खाँ के सिपाही बहुत सख्ती से वज़ीर अली का पीछा कर रहे हैं। अंग्रेजी फ़ौज को पूरी जानकारी है कि वज़ीर अली जंगलों में कहीं छुपा हुआ है।लेफ्टिनेंट कहता है कि घोड़े पर सवार आदमी सीधा अंग्रेजों के तम्बू की ओर आता मालूम हो रहा है। घोड़े के टापों की आवाज़ बहुत नजदीक आकर रुक जाती है। सिपाही अंदर आकर कर्नल से कहता है कि वह सवार उससे मिलना चाहता है। कर्नल सिपाही से उस सवार को अंदर लाने के लिए कहता है। कर्नल सवार से आने का कारण पूछता है। सवार कर्नल से कुछ कारतूस मांगता है और कहता है कि वह वज़ीर अली को गिरफ्तार करना चाहता है। यह सुन कर कर्नल सवार को दस कारतूस दे देता है और जब सवार से नाम पूछता है तो सवार अपना नाम वज़ीर अली बताता है और कहता है कि कर्नल ने उसे कारतूस दिए हैं इसलिए वह उसकी जान को बख्श रहा है। इतना कह कर वज़ीर अली बाहर चला जाता है, घोड़े के टापों की आवाजों से लगता है की वह दूर चला गया है। इतने में लेफ्टिनेंट अंदर आता है और कर्नल से पूछता है कि वह सवार कौन था । कर्नल अपने आप से कहता है कि वह एक ऐसा सिपाही था जो अपनी जान की परवाह नहीं करता और आज ये कर्नल ने खुद देख लिया था।

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