Summary of खुले आकाश में by जसवंत सिंह विरदि. please answer asap
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सचमुच जब जब खुले आसमान के नीचे बैठने का मौका मिलता है। तब तब एकटक बस आकाश को निहारने का मन करता है। आकाश को यह अपनापन। ऐसा प्रतीत होता है कि बस उस आकाश में ही समा जाऊं।
प्रकृति का यह अपना पन।बादलों का चित्र कुछ संदेश देते हैं। सचमुच संपूर्ण सृष्टि में यह आकाश भी काफी सुंदर है।जिसको एक बार देखने से बार-बार देखने का मन करता
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