Summary of Kya nirash hua jaye in English
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लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करा है। उन्हें लोगों ने धोखा दिया है। परन्तु वे सोचते हैं कि अगर वे इन धोखों को याद रखेंगे तो उनके लिए लोगों पर विश्वास करना मुश्किल हो जायेगा। लेखक यह मानते हैं कि बुराई हम सब में समान रूप से विद्यमान है। यह भूलकर दूसरे की बुराई को सामने लाना और अपना मनोरंजन करना ठीक नहीं है। इसकी जगह दूसरे व्यक्ति के अच्छे पहलुओं को सराहना और उजागर करना समाज के लिए हितकारी है।
आजकल टीवी चैनल और समाचार पत्र दोषों का पर्दाफाश करते हैं। परन्तु वे यह अपने T.R.P. पर ध्यान रखकर करते हैं। इसलिए अक्सर दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ से दोषारोपण करते हैं। जिसके कारण लोगों को बहुत हानि होती है।
लेखक का कहना है कि दुनिया में आज भी ईमानदार और अच्छे लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ के हमारी सहायता करते हैं। बस के खराब हो जाने पर जब लेखक के बच्चे भूख व प्यास के कारण रो रहे थे तो कंडक्टर उनके लिए दूध लेकर आया। उसने इंसानियत के तौर पर यह काम किया।
इसलिए एक दो बार धोखा मिलने से हमें निराश नहीं होना चाहिए। इसीलिए उन्होंने 'क्या निराश हुआ जाये' शीर्षक दिया है।
आजकल टीवी चैनल और समाचार पत्र दोषों का पर्दाफाश करते हैं। परन्तु वे यह अपने T.R.P. पर ध्यान रखकर करते हैं। इसलिए अक्सर दोनों पक्षों की सच्चाई जाने बिना ही अपनी तरफ से दोषारोपण करते हैं। जिसके कारण लोगों को बहुत हानि होती है।
लेखक का कहना है कि दुनिया में आज भी ईमानदार और अच्छे लोग हैं जो बिना किसी स्वार्थ के हमारी सहायता करते हैं। बस के खराब हो जाने पर जब लेखक के बच्चे भूख व प्यास के कारण रो रहे थे तो कंडक्टर उनके लिए दूध लेकर आया। उसने इंसानियत के तौर पर यह काम किया।
इसलिए एक दो बार धोखा मिलने से हमें निराश नहीं होना चाहिए। इसीलिए उन्होंने 'क्या निराश हुआ जाये' शीर्षक दिया है।
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