summary of meri maa kahan by krishna sobti
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(कृष्णा सोबती की कहानी की समरी (सारांश)
मेरी माँ कहाँ है
‘कृष्णा सोबती’ द्वारा लिखी गई कहानी “मेरी मां कहाँ है” भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय हुए दंगों की त्रासदी को व्यक्त करती है। इस कहानी के द्वारा लेखिका ने यह बताने की कोशिश की है कि वे दंगाई लोग जो धर्मांध होकर निर्दयी हो जाते हैं और किसी की भी हत्या करने में जरा भी संकोच नहीं करते थे, उनके अंदर भी कहीं ना कहीं थोड़ी बहुत इंसानियत भी छुपी होती है।
कहानी का पात्र एक बलोच मुस्लिम यूनुस खाँ है। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के कारण दोनों देशों में दंगे छिड़े हुए हैं। हिंदू मुसलमानों को और मुसलमान हिंदुओं को मारने-काटने में लगे हुए हैं। जिधर देखो लाशें ही लाशें नजर आ रही हैं। यूनुस खाँ एक मुसलमान बलूच है जो हिंदुओं को काफिर कहकर मारने-काटने में लगा हुआ है। वह लाहौर की तरफ अपने ट्रक से जा रहा है ताकि और काफिरों का खात्मा कर सके। रास्ते में उसे एक घायल लड़की पड़ी मिलती है। उस घायल लड़की को देखकर उसके मन में इंसानियत जाग उठती है
उस लड़की को देखकर युनुस खाँ को अपनी मरहूम बहन की याद आ जाती है, और युनुस खाँ लड़की को लाहौर के एक अस्पताल में भर्ती करवा देता है। वह उस लड़की का इलाज करवाता है। धीरे-धीरे वो लड़की ठीक हो जाती है। वो लड़की एक हिंदू लड़की होती है और किसी मुसलमान ने उसी लड़की के सामने ही उसके भाई का सिर काट कर हत्या कर दी थी, और उसे बुरी तरह घायल कर दिया था।
वो लड़की सहमी हुई सी है। जब लड़की ठीक हो जाती है तो यूनुस खाँ को उस लड़की को लेने आता है। उस लड़की को युनुस खाँ पर सहज विश्वास नही होता। युनुस खाँ उससे प्यार से बातें करता है पर वो लड़की उससे डरी-डरी रहती है क्योंकि वो मुसलमान है। जब युनुस खाँ उसे अपने ट्रक में ले जा रहा होता है तो उस लड़की को लगता है कि वो उसको किसी सुनसान जगह पर ले जाकर मार डालेगा।
युनुस खाँ उसे समझाता है कि वो उसका हमदर्द है पर उस लड़की को युनुसखाँ पर विश्वास नही होता। अचानक वो लड़की चीखने लगती है और युनुस खाँ से चिल्लाते हुये कहने लगती है...मेरी माँ कहाँ है? मेरा भाई कहाँ है? मेरी बहिन कहाँ है?
यहीं पर कहानी का समापन हो जाता है।