Summary of Munshi Premchand's story Subhagi in hindi?
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सुभागी' कहानी का सारांश
सुभागी' कहानी मुंशी प्रेमचन्द द्वारा लिखी गई है। कहानी में सुभागी युवती का चित्रण किया है, जो वृद्ध माता-पिता की जी-जान से सेवा करती है। रात-दिन मेहनत करके कर्जा भी चुकाती है और गाँव में सभी से पूरा स्नेह और सहयोग पाती है। उस युवती का नाम सुभागी (सुन्दर भाग्यवाली) बताया गया है।
तुलसी महतो का बेटा रामू और बेटी सुभागी थी | तुलसी ने दोनों की शादी कर दी | परंतु अचानक सुभागी विधवा हो गई थी | सुभागी की उम्र बहुत छोटी थी वह माता-पिता के पास रहकर उनकी सेवा करने लगी | वह घर का सारा काम करती और रामू कुछ भी नहीं करता| रामू अपनी बहन से जलता था| रामू अलग रहने लगा | अपने माता-पिता की देहांत के बाद वह अकेली रह गई |वह अपने पिता के अंतिम क्रिया-कर्म पर कर्जा लेने की देनदार थी| कड़ी मेहनत करने के बाद उसने सजनसिंह तीन सौ रुपए महीने की क़िस्त से कर्जा चुकाया |
सुभागी का अच्छा स्वभाव देखकर सजनसिंह उसे अपनी घर की बहु बनाने का निश्चय करता है| सुभागी भी उनके घर की बहु बनने को तैयार हो जाती है | सजनसिंह से सुभागी को भगवती का अवतार कहा और उसके सर पर हाथ रखकर कहा तुम्हारा सुहाग अमर रहे | तुम्हें बहु के रूप में पाकर हम धन्य हो गए |