summary of Munshi Premchand story Namak ka Daroga in Hindi on 200 words
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प्रेमचंद एक उच्चकोटी के साहित्यकार हैं। उनकी रचनाओं में व्याप्त प्रेरणा मनुष्य का मार्ग प्रशस्त करती है। प्रेमचंद इसी कारण अधिक प्रसिद्ध रहे हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में मानवीय गुणों को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उनका मानना है कि मनुष्य को अपने जीवन में सदाचार, सत्य आचरण, कर्मठ, स्वतंत्रता प्रिय होना चाहिए। आदर्शों और मूल्यों से रहित मनुष्य के अंदर भी वह अपनी रचनाओं के माध्यम से इन गुणों का विकास कर देते हैं।
'नमक का दारोगा' इनकी ऐसी ही रचना है। इसके अंदर जहाँ समाज और न्याय व्यवस्था भ्रष्ट पंडित अलोपीदीन की पक्षधर होती हैं, वहीं मुंशी वंशीधर ईमानदारी और सत्य के पक्षधर होते हैं। मुंशी वंशीधर अपने सिंद्धातों और मूल्यों के कारण अकेले पड़ जाते हैं। उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है और समाज तथा परिवार से अपमानित होना पड़ता है। परन्तु आखिर में उनके आदर्शों और मूल्यों की जीत होती है और पंडित आलोपीदीन द्वारा उन्हें सम्मानपूर्वक अपने पास उच्चपद पर रखने को विवश होना पड़ता है।
उनकी यह रचना जहाँ मुंशी वशींधर जैसे व्यक्ति का उत्साह बढ़ाती है, वहीँ पंडित आलोपीदीन जैसे लोगों तथा भ्रष्ट सामजिक व्यवस्था के मुँह पर एक करारा तमाचा मारती है तथा उन्हें ईमानदार लोगों का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है।