History, asked by Pranjal9709, 1 year ago

Summary of nationalism in india in hindi

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Answered by sreeraj2
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रॉलैट ऐक्ट (1919):

इंपीरियल लेगिस्लेटिव काउंसिल द्वारा 1919 में रॉलैट ऐक्ट को पारित किया गया था। भारतीय सदस्यों ने इसका समर्थन नहीं किया था, लेकिन फिर भी यह पारित हो गया था। इस ऐक़्ट ने सरकार को राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम शक्ति प्रदान किये थे। इसके तहत बिना ट्रायल के ही राजनैतिक कैदियों को दो साल तक बंदी बनाया जा सकता था।
6 अप्रैल 1919, को रॉलैट ऐक्ट के विरोध में गांधीजी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की। हड़ताल के आह्वान को भारी समर्थन प्राप्त हुआ। अलग-अलग शहरों में लोग इसके समर्थन में निकल पड़े, दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये। अंग्रेजी हुकूमत ने राष्ट्रवादियों पर कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया। कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया। महात्मा गांधी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया।
जलियांवाला बाग:
10 अप्रैल 1919 को अमृतसर में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई। इसके कारण लोगों ने जगह-जगह पर सरकारी संस्थानों पर आक्रमण किया। अमृतसर में मार्शल लॉ लागू हो गया और इसकी कमान जेनरल डायर के हाथों में सौंप दी गई।
जलियांवाला बाग का दुखद नरसंहार 13 अप्रैल को उस दिन हुआ जिस दिन पंजाब में बैसाखी मनाई जा रही थी। ग्रामीणों का एक जत्था जलियांवाला बाग में लगे एक मेले में शरीक होने आया था। यह बाग चारों तरफ से बंद था और निकलने के रास्ते संकीर्ण थे। जेनरल डायर ने निकलने के रास्ते बंद करवा दिये और भीड़ पर गोली चलवा दी। इस दुर्घटना में सैंकड़ो लोग मारे गए। सरकार का रवैया बड़ा ही क्रूर था। इससे चारों तरफ हिंसा फैल गई। महात्मा गांधी ने आंदोलन को वापस ले लिया क्योंकि वे हिंसा नहीं चाहते थे।
आंदोलन के विस्तार की आवश्यकता:
रॉलैट सत्याग्रह मुख्यतया शहरों तक ही सीमित था। महात्मा गांधी को लगा कि भारत में आंदोलन का विस्तार होना चाहिए। उनका मानना था कि ऐसा तभी हो सकता है जब हिंदू और मुसलमान एक मंच पर आ जाएँ।
खिलाफत आंदोलन:
खिलाफत के मुद्दे ने गाँधीजी को एक अवसर दिया जिससे हिंदू और मुसलमानों को एक मंच पर लाया जा सकता था। प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की कराड़ी हार हुई थी। ऑटोमन के शासक पर एक कड़े संधि समझौते की अफवाह फैली हुई थी। ऑटोमन का शासक इस्लामी संप्रदाय का खलीफा भी हुआ करता था। खलीफा की तरफदारी के लिए बंबई में मार्च 1919 में एक खिलाफत कमेटी बनाई गई। मुहम्मद अली और शौकत अली नामक दो भाई इस कमेटी के नेता थे। वे भी यह चाहते थे कि महात्मा गाँधी इस मुद्दे पर जनांदोलन करें। 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत के समर्थन में और स्वराज के लिए एक अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करने का प्रस्ताव पारित हुआ।
असहयोग आंदोलन
अपनी प्रसिद्ध पुस्तक स्वराज (1909) में महात्मा गाँधी ने लिखा कि भारत में अंग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाया क्योंकि भारतीयों ने उनके साथ सहयोग किया और उसी सहयोग के कारण अंग्रेज हुकूमत करते रहे। यदि भारतीय सहयोग करना बंद कर दें, तो अंग्रेजी राज एक साल के अंदर चरमरा जायेगी और स्वराज आ जायेगा। गाँधीजी को विश्वास था कि यदि भारतीय लोग सहयोग करना बंद करने लगे, तो अंग्रेजों के पास भारत को छोड़कर चले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा।





Answered by topanswers
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Nationalism in India.

Nationalism in India was emerged back only in the late 19th century, the time when the Indian National Congress emerged out. We are free to consider that India national Congress was the first organised expression of Nationalism in India. The only aim is to be independent from the British rule.

Some important nationalists movements in India During British rule are given below.

Satyagraha movements like peasants’ movements.

Movement against the Rowlet Act.

Khilafat Movement

Non-cooperation Movement.

Civil disobedience movement

Swaraj in plantation  

Salt March

Many nationalists movements during the British rule have insisted the idea of being one nation among people of India. As a result of the idea. Entire states of Indian subcontinents was kept united even after the independence.

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