summary of nello by mahadevi verma
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hey here is ur ans
महादेवी वर्मा जी ने
'गिल्लू' में अपनी गिलहरी के बारे में बताया है।
एक दिन उनको एक गिलहरी गमले के पीछे मूर्छित अवस्था में पड़ी हुई मिली।
उन्होंने उसकी देखभाल करके उसे स्वस्थ कर दिया। वह उनके साथ अनेक प्रकार से खेलती
थी और उनका मन
बहलाती थी। इस प्रकार वह उनके जीवन का अंग बन गयी।
उसे बगीचे में एक झाड़ी अत्यंत प्रिय थी। दो
साल बाद जब उसकी मृत्यु हुई तो लेखिका ने उसे उसी झाड़ी के पास
दफना दिया। उनकी आशा है कि एक दिन गिल्लू उस बेल पर फूल बनकर खिलेगी। इसलिए अगर वे
कभी भी उस बेल पर कोई फूल देखती हैं तो उन्हें गिल्लू की याद आ जाती है जो
हमेशा वहाँ खेलना पसंद करती थी।
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महादेवी वर्मा जी ने
'गिल्लू' में अपनी गिलहरी के बारे में बताया है।
एक दिन उनको एक गिलहरी गमले के पीछे मूर्छित अवस्था में पड़ी हुई मिली।
उन्होंने उसकी देखभाल करके उसे स्वस्थ कर दिया। वह उनके साथ अनेक प्रकार से खेलती
थी और उनका मन
बहलाती थी। इस प्रकार वह उनके जीवन का अंग बन गयी।
उसे बगीचे में एक झाड़ी अत्यंत प्रिय थी। दो
साल बाद जब उसकी मृत्यु हुई तो लेखिका ने उसे उसी झाड़ी के पास
दफना दिया। उनकी आशा है कि एक दिन गिल्लू उस बेल पर फूल बनकर खिलेगी। इसलिए अगर वे
कभी भी उस बेल पर कोई फूल देखती हैं तो उन्हें गिल्लू की याद आ जाती है जो
हमेशा वहाँ खेलना पसंद करती थी।
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