Hindi, asked by sugamarora3383, 10 months ago

Summary of poem chinti by sumitranandan pant

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Answered by saurav733
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सुमित्रानंदन पंत (20 मई 1900-28 दिसम्बर 1977) का जन्म अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के कैसोनी गाँव में हुआ था। इनके जन्म के पश्चात् ही इनकी माँ चल बसी और इनका पालन-पोषण इनकी दादी ने ही किया। आपका वास्तविक नाम गुसाईं दत्त था और बाद में आपने अपना नाम सुमित्रानंदन पंत रख लिया। 1919 में महात्मा गाँधी के सत्याग्रह से प्रभावित होकर अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ दी और स्वाधीनता आन्दोलन में सक्रिय हो गए। हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी और बंगला का स्वाध्याय किया। आप प्रकृति-प्रेमी थे और बचपन से ही सुन्दर रचनाएँ लिखा करते थे। आपकी प्रमुख कृतियां हैं : उच्छ्वास, पल्लव, वीणा, ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, युगांतर, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, सत्यकाम, मुक्ति यज्ञ, तारापथ, मानसी, युगवाणी, उत्तरा, रजतशिखर, शिल्पी, सौवर्ण, अतिमा, युगपथ, पतझड़, अवगुंठित, ज्योत्सना, मेघनाद वध। खादी के फूल हरिवंशराय बच्चन के साथ संयुक्त संग्रह है । मधुज्वाल उमर ख़ैयाम की रुबाइयों का फारसी से हिन्दी में अनुवाद है । आपको "चिदम्बरा" के लिये भारतीय ज्ञानपीठ, लोकायतन के लिये सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार और हिन्दी साहित्य की अनवरत सेवा के लिये पद्मभूषण से अलंकृत किया गया।

Answered by bhatiamona
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                                      चींटी कहानी  सारांश

चींटी कहानी सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा लिखी है|

जिस में कवि ने चींटी की क्रियाशील को दर्शाया गया है| कवि कहते है , चींटी को कभी चींटी को देखा है| चींटियों की पंक्ति एक  सीधी काली रेखा दिखाई पड़ती है| वह अपने छोटे-छोटे पैरो से मिलती जुलती है| चींटी बहुत मेहनती होती है , वह हमेशा अपने कार्य में लगी रहती है | उन्हें धूप खिलाती हैं बच्चों की देखभाल वह शत्रुओं से न डरकर अपनी सेना के साथ चलकर चलती है| चींटी देखने भले ही छोटी होती है , परंतु उस में  बहुत साहस होता है | वह पृथ्वी में निडर होकर विचरण करती है तथा पूरी लगन से अपने कार्य में लगी रहती है| वह कभी भी कार्य  करने से टलती नहीं है | चींटी एक बहुत अच्छी नागरिक और साहसी है|

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