summary of poem हम पंछी उन्मुक्त गगन के
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के
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यह कविता आज़ादी चाहने वाले पक्षियों के उपर आधारित है| इस कविता में कवि ने पक्षियों के स्वाधीन रहने की प्रबल इच्छा के माध्यम से जीवन में स्वाधीनता के महत्त्व को व्यक्त किया है। कवि के अनुसार खुले आकाश में उड़ने वाले पक्षी सोने के पिंजरे में बंद होकर भी मुक्त कुठ से नहीं चहचहा सकते हैं। पिंजरे से निकलने के प्रयास में उनके कोमल पंख टूट सकते हैं। बहती हुई नदियों और स्वच्छ झरनों का जल पीने वाले पक्षियों को सोने को कटोरी में दिए गए भोजन और जल की चाह नहीं है। ये सुदूर आसमान में उड़ते हुए अनार के दाने रूपी तारों को चुगने और क्षितिज को पाने के लिए पंखों द्वारा उड़ने की होड़ लगाना चाहते हैं। उन्हें अपने पोसलों के टूटने का भी दुख नहीं होगा। परंतु ईश्वर ने जब उन्हें पंख दिए हैं तो उनके उड़ने को इच्छा में बाधा डालना उन्हें स्वीकार नहीं है।