Hindi, asked by nkc343, 1 year ago

summary of poem jivan nahi mara karta hai
please answer fast

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Answered by AbsorbingMan
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जीवन नहीं मारा करता कविता श्री गोपाल दस नीरज द्वारा लिखी गई है ।इसमें कवि कहता है की कुछ चोरी होने पर या गलत होने पर रोने से या सपनो के टूटने से जीवन का अंत नहीं होता ।कवि कहते है की सपना तोह मात्र आंख का पानी है जो बहता है और उसका टूटना मानो कच्ची नींद से जागना ।अर्थात आंखे मूँद कर सपने देखना गलत है और आंख खुलने पर बह जाना और भी गलत ।

कवि आगे कहते है की चाहे कुछ भी हो चाहे सब भिखर जाए पर रोना कदापि नहीं अन्यथा ये जीवन नरक लगे गा।दीपक के भूझ जाने से घर मर नहीं जाता ठीक उसी प्रकार हर दिन बदलने से बचपन नहीं मरता बस रोज़ के दिन की भांति कुछ नया आता है ।

कभी मौसम का बदलाव हो कभी उम्र का तोह कभी चेहरों का पर याद रहे दर्पण कभी नहीं बदलता ।

Answered by shrutymohanty2003s
17

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This is the right answer

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