Hindi, asked by BiredraTiwari, 1 year ago

summary of poem kisko naman karu mai by Ramdhari SinghDinkar

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Answered by mchatterjee
128
इस कविता में कवि किसको नमन करें या ना करें इस बात की दुविधा में वह फंसे हुए हैं। देश को नमन करें या अपने मन‌ को। वह देश से सवाल करते हैं कि वह किसको नमन करेंगे।

भारत से वह सवाल करते हैं कि करता वह देश के मानचित्र में है क्या वेदों का ज्ञाता वह है? कवि के मन में तरह-तरह के सवाल उत्पन्न हो रहे हैं।

कवि कहते हैं कि आखिर में किसको नमन करूं जहां प्रेम अखंडित है या फिर जहां प्रेम ही प्रेम है। जन्मभूमि को नमन करूं या फिर महासेतु को नमन करूं।

जहां पर लोग फिर से आपस में मिल रहे हैं या दो मित्र अपने मित्रता भाव से आगे बढ़ रहे हैं। आत्मा के बंधन‌ को नमन करूं।या मानवता के ललाट को नमन करूं।
Answered by saritadil
29

Please refer to the answer below.

इस कविता में कवि किसको नमन करें या ना करें इस बात की दुविधा में वह फंसे हुए हैं। देश को नमन करें या अपने मन‌ को। वह देश से सवाल करते हैं कि वह किसको नमन करेंगे।

भारत से वह सवाल करते हैं कि करता वह देश के मानचित्र में है क्या वेदों का ज्ञाता वह है? कवि के मन में तरह-तरह के सवाल उत्पन्न हो रहे हैं।

कवि कहते हैं कि आखिर में किसको नमन करूं जहां प्रेम अखंडित है या फिर जहां प्रेम ही प्रेम है। जन्मभूमि को नमन करूं या फिर महासेतु को नमन करूं।

जहां पर लोग फिर से आपस में मिल रहे हैं या दो मित्र अपने मित्रता भाव से आगे बढ़ रहे हैं। आत्मा के बंधन‌ को नमन करूं।या मानवता के ललाट को नमन करूं।

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