Hindi, asked by Pragya1238, 10 months ago

summary of poem saakhi​

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Answered by sehangshu22
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Explanation:

कबीर की साखी में दोहों का संकलन है जोकि उन्होंने सामाजिक, धार्मिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कहे थे और जो ज्ञानवाद के रास्ते में मानव को प्रेरित करते हैं। 

कबीर अपने दोहे में कहते हैं कि मनुष्य को अपने अहंकार को भूलकर ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जो दूसरों को सुख दे और अपने को भी सुख दे।

अगले दोहे में कबीर कहते हैं कि कस्तूरी मृग अपनी ही नाभि में छुपी हुई कस्तूरी की खुशबू को वन में ढूंढता फिरता है, इस बात से अनभिज्ञ कि वह तो उसके अंदर ही है। इसी तरह मनुष्य भी भगवान को ढूंढने के लिए जगह-जगह देखता है, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में जाता है जबकि भगवान् तो उसके हृदय में ही छुपा है।

कबीर कहते हैं कि जब तक मेरे ह्रदय में अहंकार था तब तक मैं हरि अथार्त भगवान् को नहीं पा सका। जब मैंने भगवान् के ज्ञान का प्रकाश को देखा तो मेरा सारा अँधियारा मिट गया।

अगले दोहे में कबीर कहते हैं कि सब संसार सुखी है जोकि आराम से खाता है और सोता है। परन्तु दास कबीर दुखी है क्योंकि वह जागकर रोता रहता है। 

इस अंतिम ंडोहे में कबीर कहते हैं कि जिसके तन को बिरह रूपी सांप ने डंस  लिया है उस पर किसी भी मंत्र का असर नहीं होता। राम के बिरह में जो तड़प रहा हो वो जिन्दा नहीं रह सकता, अगर जिन्दा रहा भी तो पागल हो जाता है।

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