Summary of poem vah jAnma bhumi meri..line by line...
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नमस्कार दोस्त
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कववता का के न्द्रीय भाव सोहनलाल द्वववेदी द्वारा रधचत कववता “वह जन्मभूमम मेरी” भारतभूमम के प्राकृ नतक सौन्दयण तथा गौरवशाली और समृद्ध प्राचीन अतीत का भव्य उद्घाटन करती है।
कवव चाहते हैं कक आज की नई पीढ़ी अपने देश की ववरासत, महानता, समृद्धध, इनतहास, सिंस्कृ नत एविं अपने पूवणजों द्वारा ककए गए सत्कमों से अवगत हो और उनके जीवन से प्रेरर्ा प्राप्त कर उनके आदशों को अपनाने की कोमशश करे।
हहमालय के समान उच्च ववचार तथा समुद्र की तरह तरल, प्रेमपूर्ण व्यवहार का वर्णन करना भी प्रस्तुत कववता का उद्देश्य है।
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आशा है कि यह आपकी मदद करेगा
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कववता का के न्द्रीय भाव सोहनलाल द्वववेदी द्वारा रधचत कववता “वह जन्मभूमम मेरी” भारतभूमम के प्राकृ नतक सौन्दयण तथा गौरवशाली और समृद्ध प्राचीन अतीत का भव्य उद्घाटन करती है।
कवव चाहते हैं कक आज की नई पीढ़ी अपने देश की ववरासत, महानता, समृद्धध, इनतहास, सिंस्कृ नत एविं अपने पूवणजों द्वारा ककए गए सत्कमों से अवगत हो और उनके जीवन से प्रेरर्ा प्राप्त कर उनके आदशों को अपनाने की कोमशश करे।
हहमालय के समान उच्च ववचार तथा समुद्र की तरह तरल, प्रेमपूर्ण व्यवहार का वर्णन करना भी प्रस्तुत कववता का उद्देश्य है।
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