summary of premchand's story boodhi kaki in 150 words in hindi
Answers
(प्रेमचंद की कहानी का सारांश)
बूढ़ी काकी
‘प्रेमचंद’ द्वारा लिखित “बूढ़ी काकी” कहानी मानवीय करुणा से भरपूर एक कहानी है जो वृद्धावस्था में पहुंच चुके लोगों की व्यथा को व्यक्त करती है। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से अपने परिवार जनों द्वारा उपेक्षित बूढ़े व्यक्तियों की व्यथा को पेश किया है।
कहानी की मुख्य पात्र बूढ़ी काकी एक विधवा स्त्री हैं। उनको विधवा हुए 5 वर्ष गुजर चुके हैं। उनका जवान बेटा भी असमय काल का ग्रास बन चुका है। ऐसे समय में उनका कोई भी निकटतम परिवारजन नहीं रहा, तब उनका दूर का भतीजा बुद्धि राम उन्हें अपने पास रख लेता है। वह बूढ़ी काकी की संपत्ति का लोभी है और बूढ़ी काकी को उनकी देखभाल करने के लंबे चौड़े वादे करके उनकी सारी संपत्ति अपने नाम करवा लेता है। संपत्ति नाम करवाने के बाद वह बूढ़ी काकी को उपेक्षित करना शुरू कर देता है।
बुद्धि राम और उसकी पत्नी का व्यवहार दिन-प्रतिदिन बूढ़ी काकी के प्रति कठोर होता जाता है। बूढ़ी काकी की संपत्ति से अच्छी होने वाली आमदनी के बावजूद भी बूढ़ी काकी भोजन के लिए तरसती रहती थी। वृद्धावस्था की उस आयु में बूढ़ी काकी जीभ के स्वाद के आगे विवश हो जाती थी जो कि अक्सर वृद्धावस्था में एक सामान्य क्रिया होती है। लेकिन बुद्धि राम और उसके परिवार वाले बूढ़ी काकी का कोई ख्याल नहीं रखते। बुद्धि राम के दोनों बेटे भी बूढ़ी काकी को हमेशा परेशान ही करते रहते थे। बुद्धि राम की बेटी बूढ़ी काकी के प्रति संवेदनात्मक व्यवहार करती थी और वह बूढ़ी काकी का ख्याल रखती थी और थोड़ा बहुत खाना चुपचाप बूढ़ी काकी को दे जाती थी।
एक बार बूढ़ी काकी बुद्धि राम के बेटे मुखराम की सगाई हुई जिसमें सगाई समारोह में भाग लेने के लिए बहुत मेहमान आए। तरह-तरह के पकवान बन रहे थे। पकवानों की खुशबू से बूढ़ी काकी खुश हो रही थी और उसे लग रहा था कि कम से कम आज के दिन तो उसे भरपेट और अच्छा खाना मिल जाएगा। अपने आप पर नियंत्रण न रखने के कारण बूढ़ी काकी पकवानों के लालच में हलवाई के पास बैठ गई तो बुद्धिराम की पत्नी ने उसे झिड़क दिया, जिससे वह चुपचाप अपनी कोठरी में चली गई। धीरे-धीरे समारोह आरंभ हो गया। सब मेहमानों ने खाना शुरू कर दिया। लेकिन बूढ़ी काकी से किसी ने भी नहीं पूछा। वह बेचैन होकर इस इंतजार में बैठी रही कि जल्दी ही कोई ना कोई उसे खाना देने को आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और समारोह खत्म हो गया। इसी बीच जब बूढ़ी काकी को अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं हुआ तो चलने फिरने में लाचार बूढ़ी काकी हाथों के बल से चलती हुई खाने की पत्तलों के पास जाकर बैठ गई और लोग उसे आश्चर्य से देखने लगे। बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी को ऐसा करते देखकर उसे भला-बुरा कहा और कोठरी में लाकर पटक दिया।
बूढ़ी काकी फिर स्वयं को कोसती हुई अपनी कोठरी में पड़ी रही इंतजार करती रही कि कोई उसे खाना देने आएगा। लेकिन वह कोई उसे खाना देने नहीं आया समारोह खत्म हो चुका था। समय मेहमान खाना खा कर आराम कर रहे थे, जाने वाले जा चुके थे। सब सो चुके थे। बुद्धिराम की बेटी लाडली किसी तरह छुपाकर बूढ़ी काकी को थोड़ा खाना दे गई। बूढ़ी काकी फटाफट सारा खाना खा गई। उसकी भूख और बढ़ गई फिर वह मोतीराम की बेटी लाडली के साथ खाने की झूठी पत्तलों पर पहुंच गई और झूठी पत्तलों से खाना उठाकर खाने लगी।
बुद्धि राम की पत्नी रूपा की नींद खुली तो उसने देखा की बूढ़ी काकी झूठी पत्तलों से खाना उठा कर खा रही है। तब उसे स्वयं पर बड़ी आत्मग्लानि हुई और उसे इस बात का अहसास हुआ कि उन लोगों के के कारण ही बूढ़ी काकी की आज यह हालत हुई। उसे अपनी गलती का एहसास हो चुका था। बूढ़ी काकी क्षमा मांगते हुए उन्हें साथ चलने को कहा और उन्हें खाना खिलाया। यहीं पर खाने का समापन हो जाता है।
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
प्रेमचंद की कुछ अन्य कहानियों का सारांश से संबंधित प्रश्न...►
प्रेमचंद की ‘सभ्यता का रहस्य’ कहानी का सारांश
https://brainly.in/question/10935849
═══════════════════════════════════════════
‘दो बैलों की कथा’ का सारांश
https://brainly.in/question/16651869
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○