summary of push Ki Raat in proper way
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push ki raat kahani aap you tube par dekh kar kar sakti hain
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पूस की रात कहानी के कहानीकार कथा सम्राट प्रेमचंद पूस की रात का अर्थ है ठंडी हो की रात बहुत ठंडी हो की रात उसमें ठंडी बहुत पड़ती है जो गरीब लोगों के लिए यह सही है ठंडी होती है किसी कार्य मौत से कम नहीं होती है ठंडी इस कहानी ने गरीबों को दर्शाते हुए प्रेमचंद जी ने लिखा है कि अल को नाम का एक किसान गरीब किसान है जो बटाई की खेती लेकर खेती करता है और फसलों को काट के उससे पैसे मालिक को देता है साथ में हल्कू ने कर्ज बिजली लिया था खेती के लिए और वह फसलों की रखवाली करने खेतों में जाता था उस रात पूस पूस की रात तनी खड़ी थी इतनी ठंडी थी कि वह घर से गाया घर में तो इतनी ठंडी नहीं लगती थी बरखा से बाहर गया तो ठंड बहुत थी और साथ में एक छोटा सा कम एक फटा हुआ कंबल लेकर खेतों की खेत में गया उसके साथ उसका कुत्ता जबरा भी गया जैसे-जैसे रात बढ़ती गई ठंडी का प्रकोप पड़ता है जब तक ऐसा नहीं हुआ तो हल्कू ने क्या क्या तबियत पानी के नीचे से पक्षियों को बटोर कर पतियों को जलाया और से आग जलाई थोड़ा सा से का तो गर्मी प्राप्त हुई थी आग बुझ गया तो ठंडी मानो और बढ़ने लगी ठंडी बढ़ तेवर इतनी बढ़ गई कि उसके लिए अभी लेना भी मुश्किल हो गया था पलकों को समझ में नहीं आता तो क्या करें पास में उसका कुत्ता जबड़ा भी ठंड के मारे रो रहा था उसने जब रे को बोला जब रातू के माया तो घर में ही रह लेता इतनी ठंडी में नहीं झेल पा रहा हूं तू कैसे चल पाएगा और इतने ही देर में इतनी ठंडी का प्रकोप बढ़ता गया कि हल्कू ने इंसान और जानवर में भेद भूल गया और वह अपने कुत्ते जबरी को अपने साथ सुला कर थोड़ी सी गर्मी ली और थोड़ा उसको नींद आ गया थोड़ा नींद आया तो नींद आ गया और सुबह हो गई उसके सारे जानवर खा गए उसकी पत्नी सुबह आई और उसको जलाई तो लगाई और बोली कि कैसे सोते हो सारे खेत तो जानवर खा गए अब हम कहां से मालिक का कर्ज भरेंगे कहां से पैसा देंगे तो हल को बोलता है अच्छा है मजदूरी करके पैसा दे देंगे लेकिन इस ठंडी से तो अच्छा है ना कि घर में ही रहेंगे ठंडी का ठंडी के मारे इतना रात भर में कहां पर आता तुमको क्या पता है तब हलकों खुशी से उठा और घर की ओर चल दिया गरीबी को दर्शाते हुए प्रेमचंद ने लिखा है कि गरीबी इतनी भयानक होती है कि लोग लोगों के लिए या मौसम में ठंडी या गर्मी भी रंडी साथ कर कर ली तो लोगों के लिए काल के सामान्य गरीब लोगों के लिए साल के समान होती है