Hindi, asked by Tanmayrocket3412, 1 year ago

Summary of rama written by mahadevi verma

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Answered by ayano71
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Rama, prince of Ayodhya, won the hand of the beautiful princess Sita (seen here), but was exiled with her and his brother Laksmana for 14 years through the plotting of his stepmother. In the forest Sita was abducted by Ravana, and Rama gathered an army of monkeys and bears to search for her.

hope it helps!(^^)
Answered by mehtapreet08
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रामा - महादेवी वर्मा

हिन्दी साहित्य क्षेत्र में महादेवी वर्मा मूलतः कवयित्री के रूप में प्रतिष्ठित हैं। कवयित्री के रूप में प्रख्यात होने पर भी इनके कालदर्शी कवि हृदय ने समय-समय पर यह अनुभव किया कि छन्दों के बंधे-बंधाये माध्यम से बहुत कुछ प्रकट कर देने पर भी कुछ अनकहा रह गया है। इस कुछ अनकहे को महादेवी ने गद्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। अपने गद्य लेखों में कविता की भाँति आकाश में विचरण न कर महादेवी जी इस धरा पर ही अवस्थित है। कविता के सुरम्य मनोहारी वातावरण के मोह को संवरित कर समाज केन्द्रित हो इसके लिए उन्होंने उसकी विषमता के प्रति आक्रोश व्यक्त किया है। गद्य लेखन में महादेवी जी ने आत्मःदुख को अविशेष मानकर उपेक्षित एवं असहाय अज्ञात, धूमिल तथा घृणित जीवन को वाणी दी है। ऐसा करने में उन्हें कविता लेखन की तुलना में कम परितोष लाभ नहीं हुआ। आत्मतोष लाभ की इस प्रक्रिया में जिन गद्य लेखों की रचना हुई उनमें ‘अतीत के चलचित्र’ का अपना पृथक महत्व है। 

अतीत के चलचित्र का पहला चित्र ग्रामीण भृत्य कुरूप रामा के जीवन से सम्बद्ध है। रामा का जीवन वृतान्त महादेवी जी के बाल्य-जीवन की अनेकशः झलकियाँ प्रस्तुत करता है। रामा के जीवन का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करती हुई महादेवी जी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया है “वास्तव में जीवन सौन्दर्य की आत्मा है,पर वह सामंजस्य की रेखाओं में जितनी मूत्तिमत्ता पाता है,उतनी विषमता में नहीं। जैसे-जैसे हम बाह्य रूपों की विविधता में उलझते जाते हैं,वैसे-वैसे उनके मूलगत जीवन को भूलते जाते हैं। बालक स्थूल विविधता से विशेष परिचित नहीं होता,इसी से वह केवल जीवन को पहचानता है। जहाँ से जीवन से स्नेह-सद्भाव की किरणें फूटती जान पड़ती हैं,वहाँ वह व्यक्त विषम रेखाओं की उपेक्षा कर डालता है और जहाँ द्वेष, घृणा आदि के धूम से जीवन ढँका रहता है वहाँ वह बाह्य सामंजस्य को भी ग्रहण नहीं करता”1

अतीत के चलचित्र में महादवेी वर्मा ने समय-समय पर अपने सम्पर्क में आये उन व्यक्तियों के संस्मरण लिखे हैं,जिन्हें समाज उपेक्षित मानता है। रामा अतीत के चलचित्र का एक ऐसा ही पात्र है। विमाता के अत्याचार से भाग खड़े हुए बुन्देलखण्डी अनाथ बालक रामा के अपरूप का सेवाव्रत में दीक्षित होने का और माँ की संवेदना द्वारा उसे घर के छोटे विद्रोही बच्चों को वश में करने के गुरुत्तर कर्त्तव्य सौंपे जाने का बड़ा सजीव चित्र अंकित किया हैं रामा के सम्बन्ध में विस्तृत परिचयात्मक विवरण प्रस्तुत करते हुए महादेवी जी लिखती हैं – “मेरा बचपन समकालीन बालिकाओं से कुछ भिन्न रहा,इसी से रामा का उसमें विशेष महत्व है। मेरे पंडित जी से रामा का कोई विरोध न था,पर जब खिलौनों के बीच में ही मौलवी साहब,संगीत शिक्षक और ड्राइंग मास्टर का आविर्भाव हुआ तब रामा का हृदय क्षोभ से भर उठा। कदाचित वह जानता था कि इतनी योग्यता का भार मुझसे न संभल सकेगा। मौलवी साहब से तो मैं इतना डरने लगी थी कि एक दिन पढ़ने से बचने के लिए बड़े झाबे छिपकर बैठना पड़ा अन्त में रामा और माँ के प्रयत्न ने ... उर्दू पढ़ने से छुट्टी दिला दी।

संदर्भ -

1- महादेवी,स्मारिका,पृ. 97
2- अतीत के चलचित्र,महादेवी वर्मा,भारती भण्डार,इलाहाबाद
3- स्मारिका,महादेवी वर्मा,प्रकाशन केन्द्र,लखनऊ,प्रथम संस्करण,सन् 1971 ई.
4- हिन्दी का विवेचनात्मक गद्य,महादेवी वर्मा,भारती भंडार,प्रयाग
5- भारतीय संस्कृति और नारी,महादेवी वर्मा

It took me a lot time to type it from book !
please mark as brainliest answer
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