Hindi, asked by shanayanaz1207, 1 year ago

summary of story vardan by munshi premchand

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Answered by Anonymous
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"Vardaan" Munshi Premchand ki ek behad rochak kahani hai.Is kahani main bataya gya hai ki is kahani ka natak Pratap ki mata ne kaafi kadi tapasya ke baad Pratap ko putra roop main paya the.Pratap ke puts munshiji bhi bachon se prem karte the.Jab pratap cheh saal ka hua tab uske pita kumbh ke mele main nhi gye the.Mata ne akele hi putra ki sanskarpoorvak pervarish ki.Pratap ek uttam sanskaron wala vyakti tha.Kahani ki nayika usse bachpan se hi prem karti thi per uski shaadi kisi aur se ho gyi.Kuch samay baad uske pati ki mrityu ho gyi.W/o pratap se fir mili per pratap ka jeevan main koi aur aa gya.Baad main pratap me Sanyaas ke liye..
Answered by aaravgoyal29
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Answer:

वरदान’ दो प्रेमियों की दुखांत कथा है। एक सुवामा नामक स्त्री बड़ी तपस्या कर रही थी जैसे सेकड़ो व्रत रखे,देवताओ की उपासना की। कई तीर्थ यात्राएं की परन्तु मनोरथ पूरा न हुआ तो वह अष्टबझा देवी के मंदिर में जा तपस्या करने लगे। एक भी मंगवार ईसा न जाता जब स्वामा देवी के शरद में जा सर न झुकाती, कोई दिन न होता की वह देवी को याद न करतीँ । लगभग दो दशक यानी बीस साल बाद एक दिन वह दुखी हो माता के मंदिर में जा देवी से अपना दर्द तथा दुःख बाटने लगी। अकस्मात् उसके चित पर अचेत करने वाले अनुराग का अकरमद हुआ ,उसकी आँखें बांध हो गयी और कान में ध्वनि आयी "सुवामा,में तुझसे बहुत प्रसन्न हूँ मांग क्या मांगती है " स्वामा ने  केवल एक चीज मांगी उसने कहा "मुझे संसार का सबसे उत्तम पदार्थ चाहिए ,एक सपूत बेटा जो देश का उपकार करे " माँ अष्टबझा देवी ने कहा तू धन्य है तेरी मांग पूरी होगी। स्वामा ने मुंशी सालिग्राम नमक एक वकील से शादी की। मुंशी जी का स्वाभाव बच्चो के प्रति काफी अच्छा था वह हमेश बच्चो से प्यार करते थे। मोहल्ले के सभी बच्चे उन्हें अच्छा मानते थे। जब उनका बाकि बच्चों से प्रेम इतना अधिक है तोह जब उनका स्वेम का बालक होगा तोह तो वह उसे कितना प्रेम करते। पुत्र होने पर स्वामा और मुंशी जी ने अपने बेटे का नाम प्रताप चंद्र रखा। जब प्रताप ६ वर्ष का था तब उसके पिता कुम्भ के मेले में बिछड़ गए। तब से स्वामा ने ही प्रताप की संस्कारपूर्वक परवरिश की।  

प्रताप जब बड़ा हुआ तब वह एक अच्छे संस्कारों वाला आदमी था।  सुवामा का पुत्र प्रताप एक ऐसा पात्र है जो दीन-दुखियों, रोगियों, दलितों की निस्वार्थ सहायता करता है। कथा की नायिका और प्रताप बचपन से एक दूसरे से प्रेम करते थे। वह ऐसे दो प्रेमी जो बचपन में साथ-साथ खेले, जिन्होंने तरुणाई में भावी जीवन की सरल और कोमल कल्पनाएं संजोईं, जिनके सुन्दर घर के निर्माण के अपने सपने थे और भावी जीवन के निर्धारण के लिए अपनी विचारधारा थी। किन्तु उनकी कल्पनाओं का महल शीघ्र ढह गया।नायिका की शादी किसी और से हो गयी।शीघ्र ही प्रताप ने भी शादी कर ली। दोनों ही अपनी घृस्ति बसा कर रहते थे पर दुर्भाग्यवर्ष नायिका के पति का दिहांत हो गया। वह इतने सालो बाद प्रताप से मिलने गयी परन्तु किसी और को उसके जीवन में देख सेहम गयी। अंत में वह अपने प्रेम का जश्न एक साथ तो नहीं बना सके परन्तु उनकी प्रेमकथा अमर हो गयी।

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