Hindi, asked by chakethagilliam890, 1 year ago

Summary of the poem cheenti by sumitranandan pant

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Answered by maokwaranyia
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चींटी  

सुमित्रानंदन पंत  

चींटी को देखा?  

वह सरल, विरल, काली रेखा  

तम के तागे सी जो हिल-डुल,  

चलती लघु पद पल-पल मिल-जुल,  

यह है पिपीलिका पांति! देखो ना, किस भांति  

काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत.

गाय चराती, धूप खिलाती,  

बच्चों की निगरानी करती  

लड़ती, अरि से तनिक न डरती,  

दल के दल सेना संवारती,  

घर-आंगन, जनपथ बुहारती.

चींटी है प्राणी सामाजिक,  

वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक.  

देखा चींटी को?  

उसके जी को?  

भूरे बालों की सी कतरन,  

छुपा नहीं उसका छोटापन,  

वह समस्त पृथ्वी पर निर्भर  

विचरण करती, श्रम में तन्मय  

वह जीवन की तिनगी अक्षय।  

वह भी क्या देही है, तिल-सी?  

प्राणों की रिलमिल झिलमिल-सी  

दिनभर में वह मीलों चलती,  

अथक कार्य से कभी न टलती.


Anonymous: what is ur problem
maokwaranyia: Leave me alone fool
Answered by bhatiamona
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चींटी कहानी  सारांश

चींटी कहानी सुमित्रानन्दन पन्त द्वारा लिखी है|

जिस में कवि ने चींटी की क्रियाशील को दर्शाया गया है| कवि कहते है , चींटी एक बहुत अच्छी नागरिक और साहसी है|चींटी को कभी चींटी को देखा है| चींटियों की पंक्ति एक  सीधी काली रेखा दिखाई पड़ती है| वह अपने छोटे-छोटे पैरो से मिलती जुलती है| चींटी बहुत मेहनती होती है , वह हमेशा अपने कार्य में लगी रहती है |

उन्हें धूप खिलाती हैं बच्चों की देखभाल वह शत्रुओं से न डरकर अपनी सेना के साथ चलकर चलती है| चींटी देखने भले ही छोटी होती है , परंतु उस में  बहुत साहस होता है | वह पृथ्वी में निडर होकर विचरण करती है तथा पूरी लगन से अपने कार्य में लगी रहती है| वह कभी भी कार्य करने से टलती नहीं है| हमें चींटी के जीवन से सिख लेनी चाहिए और सीखना चाहिए हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए|

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