Summary of the poem मेरी भी आभा है इसमें by Nagararjun
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नागार्जुन की कविता “मेरी भी आभा है इसमें” का सारांश
‘नागार्जुन’ हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि रहे हैं जो प्रकृति के कवि रहे हैं। उनकी कविताओं में प्रकृति का बड़ी सुंदरता से वर्णन किया जाता है। उनकी कविताएं प्रकृति के निकट अधिक होती है।
“मेरी भी आभा है इसमें” यहां पर कवि कविता का प्रारंभ सूर्य से करता है। कवि नागार्जुन प्रकृति की स्वच्छता को नतमस्तक होकर स्वीकार करते हैं। उसे मनुष्य से निरपेक्ष नहीं मानते। उनके लिए वह सापेक्ष स्वायत्तता है। ये विशाल धरती जो सूर्य से तप रही है वह मनुष्य निरपेक्ष नहीं। कवि ने उसमें अपनी आभा देखी है। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल बिखरे पड़े है कवि को उनमें अपने सपने फलीभूत होते नजर आते हैं। पकी हुई फसलों में कवि को अपने जीवन की झांकी नजर आती है। शायद कवि का अभिप्राय यह है कि आजादी के बाद जो भारत निर्मित हुआ है उसमें एक आम व्यक्ति के योगदान को नकारा नही जा सकता। एक आम व्यक्ति भी इस भारत रूपी सूर्य में अपनी आभा देख रहा है। चारों तरफ जो स्वतंत्रता रूपी रंग-बिरंग फूल बिखरे पड़े हैं, वो उस व्यक्ति के सपने है, जो सच हुये हैं।
Summary of Meri bhi abha hai ismei