summary of the poem समर्पण
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ʜɪ ᴍᴀᴛᴇ
sᴜᴍᴍᴀʀʏ ᴏғ ᴛʜᴇ ᴘᴏᴇᴍ समर्पण
समर्पण' कविता में कवि मातृभूमि को अपना सर्वस्व और सारा जीवन न्योछावर कर देना चाहता है। वह अपना मन, शरीर और जीवन समर्पित करना चाहता है। वह अपने प्राण तथा शरीर के रक्त को एक-एक कण भी समर्पित करने को तैयार है। ... इस तरह कवि – पने जीवन का बलिदान एवं प्राणों का त्याग कर मातृभूमि की सेवा करना चाहता है।
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