summary of the poem vah janmbhoomi meri by sohnlal dvivedi in Hindi
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सोहन लाल द्विवेदी (23 फरवरी 1906 - 1 मार्च 1988) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश-भक्ति व ऊर्जा से ओतप्रोत आपकी रचनाओं की विशेष सराहना हुई और आपको राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया।
आप महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित हुए । द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं ।
आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम. ए., एल. एल. बी. की डिग्री ली और आजीविका के लिए जमींदारी और बैंकिंग का काम करते रहे । 1938 से 1942 तक वे राष्ट्रीय पत्र 'दैनिक अधिकार' के संपादक थे । कुछ वर्षों तक आपने अवैतनिक रूप से बाल पत्रिका 'बाल-सखा' का संपादन भी किया ।
साहित्यिक कृतियां:
देश प्रेम के भावों से युक्त आपकी प्रथम रचना 'भैरवी' 1941 में प्रकाशित हुई । आपकी अन्य प्रकाशित कृतियां हैं- 'वासवदत्ता', 'कुणाल 'पूजागीत', 'विषपान, 'युगाधार और 'जय गांधी' । इनमें आपकी गांधीवादी विचारधारा और खादी-प्रेम की मार्मिक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं । आपने प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य की भी रचना की । उनमें प्रमुख हैं- 'बांसुरी', 'झरना', 'बिगुल', 'बच्चों के बापू, 'चेतना', 'दूध बताशा, 'बाल भारती, 'शिशु भारती', 'नेहरू चाचा' 'सुजाता', 'प्रभाती' आदि ।
द्विवेदी जी का साहित्य वर्तमान और अतीत के प्रति गौरव की भावना जगाता
है ।
1969 में भारत सरकार ने आपको पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया।
1 मार्च 1988 को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी का देहांत हो गया।
आप महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित हुए । द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं ।
आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम. ए., एल. एल. बी. की डिग्री ली और आजीविका के लिए जमींदारी और बैंकिंग का काम करते रहे । 1938 से 1942 तक वे राष्ट्रीय पत्र 'दैनिक अधिकार' के संपादक थे । कुछ वर्षों तक आपने अवैतनिक रूप से बाल पत्रिका 'बाल-सखा' का संपादन भी किया ।
साहित्यिक कृतियां:
देश प्रेम के भावों से युक्त आपकी प्रथम रचना 'भैरवी' 1941 में प्रकाशित हुई । आपकी अन्य प्रकाशित कृतियां हैं- 'वासवदत्ता', 'कुणाल 'पूजागीत', 'विषपान, 'युगाधार और 'जय गांधी' । इनमें आपकी गांधीवादी विचारधारा और खादी-प्रेम की मार्मिक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं । आपने प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य की भी रचना की । उनमें प्रमुख हैं- 'बांसुरी', 'झरना', 'बिगुल', 'बच्चों के बापू, 'चेतना', 'दूध बताशा, 'बाल भारती, 'शिशु भारती', 'नेहरू चाचा' 'सुजाता', 'प्रभाती' आदि ।
द्विवेदी जी का साहित्य वर्तमान और अतीत के प्रति गौरव की भावना जगाता
है ।
1969 में भारत सरकार ने आपको पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया।
1 मार्च 1988 को राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी का देहांत हो गया।
SimarjeetSinghArora:
i want the summary of poem
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