summary of tum kabh javogi athidhi in class 9 English
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Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 Sparsh Chapter 3 Explanation, Question Answer
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NCERT Class 9 Sparsh Hindi Chapter 3 Tum Kab Jaoge Atithi
तुम कब जाओगे अतिथि CBSE Class 9 Hindi Sparsh Lesson 3 summary with detailed explanation of the lesson ‘Tum Kab Jaoge Atithi’ along with meanings of difficult words.
Given here is the complete explanation of the lesson, along with summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson
यहाँ हम हिंदी कक्षा 9 ''स्पर्श - भाग 1'' के पाठ 3 “तुम कब जाओगे, अतिथि” के पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ और NCERT पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इन सभी बारे में जानेंगे
कक्षा 9 स्पर्श भाग 1 पाठ 3 “तुम कब जाओगे, अतिथि”
tum kab jaoge atithi
By Shiksha Sambra
See Video Explanation of Chapter 3 Tum Kab Jaoge Atithi
लेखक परिचय
लेखक - शरद जोशी
जन्म - 1931
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ प्रवेश
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ सार
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ व्याख्या
तुम कब जाओगे अतिथि प्रश्न-अभ्यास
तुम कब जाओगे अतिथि पाठ प्रवेश
इस पाठ में लेखक कहना चाहता है कि अतिथि हमेशा भगवान् नहीं होते क्योंकि लेखक के घर पर आया हुआ अतिथि चार दिन होने पर भी जाने का नाम नहीं ले रहा है। पाँचवे दिन लेखक अपने मन में अतिथि से कहता है कि यदि पाँचवे दिन भी अतिथि नहीं गया तो शायद लेखक अपनी मर्यादा भूल जाएगा। इस पाठ में लेखक ने अपनी परेशानी को पाठको से साँझा किया है -
Video Explanation of Chapter 3 Tum Kab Jaoge Atithi
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तुम कब जाओगे अतिथि पाठ सार
लेखक अपने घर में आए अतिथि को अपने मन में संबोधित करते हुए कहता है कि आज अतिथि को लेखक के घर में आए हुए चार दिन हो गए हैं और लेखक के मन में यह प्रश्न बार-बार आ रहा है कि 'तुम कब जाओगे, अतिथि? लेखक अपने मन में अतिथि को कहता है कि वह जहाँ बैठे बिना संकोच के सिगरेट का धुआँ उड़ा रहा है, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर है।
लेखक कहता है कि पिछले दो दिनों से वह अतिथि को कलैंडर दिखाकर तारीखें बदल रहा है। ऐसा लेखक ने इसलिए कहा है क्योंकि लेखक अतिथि की सेवा करके थक गया है। पर चौथे दिन भी अतिथि के जाने की कोई संभावना नहीं लग रही थी। लेखक अपने मन में अतिथि को कहता है कि अब तुम लौट जाओ, अतिथि! तुम्हारे जाने के लिए यह उच्च समय अर्थात हाईटाइम बिल्कुल सही वक्त है। क्या उसे उसकी मातृभूमि नहीं पुकारती?
अर्थात क्या उसे उसके घर की याद नहीं आती। लेखक अपने मन में ही अतिथि से कहता है कि उस दिन जब वह आया था तो लेखक का हृदय ना जाने किसी अनजान डर के (किसी अन्जान डर से )धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं लेखक का बटुआ काँप गया।
उसके बावजूद एक प्यार से भीगी हुई मुस्कराहट के साथ लेखक ने अतिथि को गले लगाया था और मेरी लेखक की पत्नी ने अतिथि को सादर नमस्ते की थी।