Hindi, asked by sarithasampathp0uhvn, 1 year ago

summary of vinay ke
pad

Answers

Answered by Gobind11
6
विनय के पद महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखित रचना है ,जिसमें उन्होंने प्रभु श्रीराम के प्रति अपना प्रेम भाव प्रकट किया है . प्रथम पद में उन्होंने श्रीराम की उदारता का वर्णन किया है . कवि कहते हैं कि श्रीराम बिना सेवा के ही अपने भक्तों पर दया करते हैं . जो ज्ञान और प्रेम बड़े -बड़े ऋषियों और मुनियों को प्राप्त न हो सका ,वह सहज ही जटायु और शबरी को प्राप्त हो गया . अतः यदि जीवन में भगवत भक्ति प्राप्त करनी हो तो भगवान् श्रीराम को भजना होगा . 


द्वितीय पद में गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि जिस व्यक्ति के मन भगवान् श्रीराम के प्रति प्रेम न हो उसे त्याग कर देना चाहिए चाहे वह कितना ही परम मित्र क्यों न हो . जिस प्रकार प्रहलाद ने अपने पिता को ,विभीषण ने अपने भाई को और भरत ने अपनी माता का त्याग कर दिया . राजा बलि को उनके गुरु ने और ब्रज की गोपिओं ने अपने पति का केवल इसीलिए त्याग कर दिया क्योंकि उनके मन में श्रीराम के प्रति प्रेम नहीं है .अतः जिसके मन में श्रीराम के प्रति प्रेम होगा ,उसी का कल्याण होगा .

hope it helps you
Similar questions