History, asked by sameeer786, 1 year ago

summary on Asal Dhan​

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Answered by Priatouri
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असल धन |

Explanation:

एक बार की बात है एक गांव में एक चरवाहा रहता था। वह बहुत गरीब था लेकिन साथ ही वह बहुत ईमानदार भी था। इस चरवाहे का नाम दारा था। गांव के लोग धारा का बहुत सम्मान करते थे क्योंकि वह बेशक निर्धनता और टूटी झोपड़ी में रहता था लेकिन वह बहुत इमानदार था और बुद्धिमान भी। लोग दारा की बुद्धिमानी की चर्चा करते नहीं थकते थे और एक बार ईरान के शाह के कानों तक भी दारा के बुद्धिमानी के चर्चे पहुंचे। तब ईरान के शाह ने अपने एक दूत को अपने साम्राज्य में फैली कुछ समस्याओं का हल पूछने के लिए धारा के पास भेजा।  

धारा ने बहुत बुद्धिमानी से शाह के दूत को सभी समस्याओं का समाधान बताया और शाह इन समाधानों को पाकर अत्यंत खुश हुआ। शाह ने धारा को अपना दरबारी नियुक्त किया और अब उसने हर छोटे बड़े मसलों पर दारा से सलाह लेता। धारा की बढ़ती लोकप्रियता को देख बाकी दरबारी उससे ईर्ष्या करने लगे और शाह के कान भरने लगे। शाह धारा के खिलाफ एक भी शब्द ना सुनकर उल्टे दरबारियों को ही डांट फटकार लगा देते।  

देखते ही देखते दारा शाह का एक लोकप्रिय दरबारी बन गया। एक बार शाह ने दारा को अपने उत्तरी प्रांत का सूबेदार बनाकर भेजा क्योंकि उत्तरी प्रांत में अराजकता फैली हुई थी। दारा ने प्रांत में जाकर अपने बुद्धिमानी और चतुरता से अराजकता खत्म कर प्रांत में शांति की स्थापना की। दारा ने नगर नगर जाकर लोगों से उनकी समस्याएं पूछी और उनका समाधान निकाला। उसने दोषियों को सजा दिलाई और लोगों को न्याय दिया। दारा की इस कामयाबी को देख शाह बहुत खुश हुए। धारा के प्रति शाह के बढ़ते स्नेह को देख बाकी दरबारी शाह के कान भरने की नई नई तरकीब सोचने लगे।

दारा जब भी कहीं जाता तो वह एक घोड़े पर स्वयं सवार होता और दूसरे घोड़े पर अपने एक बक्से को रखता था। इस पर बाकी दरबारियों ने राजा के कान भरना शुरू किया कि दारा मैं अपने इस बक्से में बेईमानी का संजीत किया हुआ धन रखा हुआ है। शाह दरबारियों की इन बातों पर यकीन नहीं करना चाहता था और उसे लगता था कि यदि दारा बेईमान है तो दुनिया में कोई ईमानदार कभी हो ही नहीं सकता।

इसी के चलते शाह ने दारा को दरबार में बुलाया । शाह के आदेश अनुसार दारा दरबार में उपस्थित हुआ और शाह के पूछे जाने पर दारा ने बताया कि इस बक्से में उसका असल धन है। जब उसने बक्सा खोला तो उसमें से एक फटा हुआ कोट निकला जिस पर धारा ने बताया कि यह कोर्ट उसे उसकी गरीबी की याद दिलाता है जिससे उसके मन में कभी घमंड नहीं होता और यही उसका असली धन है।  

दारा की यह बात सुनकर दरबार में मौजूद सभी दरबारियों का सर शर्म से नीचे झुक गया। शाह ने दादा की वाहवाही करते हुए कहा कि धन्य है वह देश जिसने दारा जैसे ईमानदार व्यक्ति को जन्म दिया।

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Saransh lekhan

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