Summary on इंटरनेट और सोशल नेटवकग साइस का वतार जहां लोग को जोड़ रहा ह,ै वहं संचार क वकसत होती यह नई संकृत अपने साथ कई समयाएं भी ला रह ह। भारत इसका अपवाद नहं है, जहां तकनीक का वतार तो बहुत तेजी से हो रहा है, पर उसका योग कस तरह होना है, यह अभी सीखा जाना है। एक नई चुनौती के साथ इसका सबसे अधक असर बच पर हो रहा है।
अमूमन खेल के मैदान पर होने वाल बच क शरारत- जैसे एक-दूसरे को चढ़ाना या परेशान करना- सोशल नेटवकग साइस के जरये अब आभासी दुनया म देखी जा सकती ह। फेसबुक, ऑरकुट या अय सोशल नेटवकग साइस का इतेमाल दोधार तलवार क तरह होता है, इसलए यद सावधानी नहं बरती जाए, तो इससे बच को नुकसान हो सकता है। सावधानी नहं बरतने से बचे असर 'साइबर बुलंग' का शकार हो जाते ह। साइबर बुलंग से मतलब कसी वयक या बचे को कसी अय बचे या वयक वारा डिजटल ौयोगक का इतेमाल (इंटरनेट या मोबाइल आद) कर ताड़त या मानसक प से परेशान कए जाने से है। टेलनॉर वारा कए गए एक अययन के मुताबक, 2012 तक भारत म चार करोड़ बचे इंटरनेट पर सय थे, जो 2017 म तीन गुने से भी यादा बढ़कर 13 करोड़ हो जाएंगे। ये आंकड़े जहां भवय के त उमीद जगाते ह, वहं कुछ सवाल भी खड़े करते ह। आखर इंटरनेट पर जो बचे ह, वे साइबर दुनया म कतने सुरत ह, उह इंटरनेट के सलक के बारे म कतनी जानकार है? आंकड़े इसक अछ तवीर नहं पेश कर रहे ह। माइोसॉट वारा जार कए गए लोबल यूथ ऑनलाइन सव के मुताबक, साइबर बुलंग का शकार होने के मामले म भारत के बचे दुनया म तीसरे नंबर (53 तशत) पर ह। पहले दो थान पर मशः चीन (70 तशत) और संगापुर (58 तशत) ह। जागकता के अभाव म बच को यह पता नहं होता क साइबर बुलंग का शकार होने पर उह या करना चाहए। नतीजतन वे अकेलेपन और अवसाद का शकार हो जाते ह।
ऐसे म अभभावक क िजमेदार बढ़ जाती है। वातव म तकनीक प से भारत संमण काल से गुजर रहा है, िजसम युवा पीढ़ पछल पीढ़ क तुलना म कहं अधक साइबर एिटव है। अभभावक मानते ह क तपध दुनया म बच को साइबर दुनया से जोड़ना उनके भवय के लहाज से जर है। वे बच को इंटरनेट के हवाले कर अपने कतय क इती कर लेते ह, जबक उह यहां भी सतकता बरतने क जरत है।
यापक प से देखा जाए, तो अब समय आ गया है क नैतक शा के साथ इंटरनेट आधारत यवहार और शटाचार को भी कूल पायम का हसा बनाया जाए, ताक बच को पता चल सके क समान और गरमा के साथ इंटरनेट पर कैसे यवहार कया जाना चाहए, या उनका एक छोटा-सा मजाक दूसरे पर कतना भार पड़ सकता है। समया का कानूनी पहलू भी खासा उसाहजनक नहं है। भारत का साइबर बुलंग कानून बच और वयक म कोई अंतर नहं करता। इसम बच के लए कोई वशट ावधान नहं है। जबक बाल मितक पर साइबर बुलंग का गंभीर भाव पड़ता है, जो उह नकारामक भी बना सकता है। भारत म 2000 म सूचना ोयौगक कानून बना। वष 2008 म इसम कुछ संशोधन कए गए। इसक धारा 66-ए म साइबर बुलंग से संबंधत मामले आते ह, िजसे अब दंडनीय अपराध बना दया गया है। पर बच के साथ होने वाल ऐसी घटनाओं को अलग परेय म देखा जाना चाहए। अमेरका और टेन जैसे देश बच को साइबर बुलंग से बचाने के लए हेपलाइन सेवा उपलध कराते ह, पर भारत म ऐसी कोई यवथा नहं है।
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please "did not language and with learning by English language with time learning but you typing with English language and learning get the answer"
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