summary on the poem do panchi by Rabindranath Tagore
Answers
भावार्थ:-
संदर्भ:-प्रस्तुत पंक्तियां कविता दो पंछी से ली गई है जिसके कवि रविंद्रनाथ ठाकुर है।
प्रसंग:-रवींद्रनाथ ठाकुर इस कविता के माध्यम से उन भारतीयों की ओर संकेत करते हैं जो अंग्रेजों की अधीन होते हुए भी सुख का अनुभव कर रहे हैं। कवि स्वतंत्रता और परतंत्रता के महत्व के साथ-साथ बंधन के सुख और आजादी के सुख की तुलना करना भी सिखाते हैं।
क) सोने के पिंजरे में... कैसे निकलूंगा?
अर्थ:-इन पंक्तियों के द्वारा कवि हमें उन दो पंछी की गाथा सुनाते हैं, जिनका मिलन सहयोग से विधाता की इच्छा अनुसार होता है। एक जो सोने के पिंजरे में बंद था और दूसरा वन में आयुक्त उड़ने वाला। वन के पंछी को पिंजरे में कैद अर्थात अंग्रेज़ो नाम देखकर वह उससे अपने साथ वन में चलने का आग्रह करता है। जहां स्वच्छता से हर काम बिना रोक-टोक करने की पूरी आजादी है। परंतु पिंजरे के पंछी को पिंजरे में रहना अर्थात बंधन में रहने की जैसे आदत पड़ गई थी और उसे वह स्थान काफी सुखद लगने लगा था,इसलिए भवन के पंछी को पिंजरे के अंदर आकर उसका सुख भोगने की विनती करता है।परंतु मन के पंछी को बंधन में रहना गुलामी करना मंजूर नहीं, इसलिए वह पिंजड़े में आने से इंकार कर देता है। दोनों के अंदर एक दूसरे से मिलने की प्रारंभ इच्छा है परंतु दोनों लाचार है। पिंजरे के पंछी को अपना निर्णय लेने की आजादी नहीं है, क्योंकि उसके जीवन की प्रत्येक गतिविधियों पर तो उसके मालिक का हक है। इसलिए वह विश्वास पूर्वक उससे पूछता है। परंतु मुझे इस बंधन से आजादी कैसे मिलेगी?
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- Rabindranath Tagore composed the Bengali poetry "Do Panchi," which is also known as "Two Birds" in English. The poem is a lovely depiction of the bond between two birds, who stand in for two different facets of the human psyche.
- The first bird, a metaphor for the analytical mind, is always busy constructing its nest, amassing money, and planning for the future. The second bird, which stands for the emotional mind, is carefree and joyful, living in the now and not worrying about anything.
- The poem examines the conflict between these two facets of the human mind and emphasises the importance of equilibrium. In order to live a happy and comfortable life, Tagore emphasises the significance of striking a balance between materialistic goals and spiritual satisfaction.
- The poem's underlying message is to learn to cherish the moment and not let the quest of material prosperity overrun one's life. The cognitive and emotional facets of life must coexist in harmony, and the delight of living in the present moment must be appreciated.
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