Summary on the poem nauka paar nahi hoti
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मानवीय जीवन में विजय-पराजय, उदासी, हताशा-निराशा अकेलापन यह सभी भाव अवश्यम्भावी हैं .ऐसी खबरों से तमाम अखबारों के पन्ने भरे पड़े रहते हैं, जहां हताशा निराशा का शिकार होकर अपने सपनों के टूट जाने पर लोग जिंदगी समाप्त कर मौत का आलिंगन कर लेते हैं .लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती यह कविता ऐसे में उस व्यक्ति को एक सम्बल की तरह सहारा देती है.जिसका जीवन प्रतिकूलताओं के झंझावातों से गुजर रहा हो.
कठिन परिस्थितियां जो हमारे सामने आती हैं, उसे भी परमात्मा का एक आशीर्वाद ही समझना चाहिए. हमारे जीवन में आयी समय की प्रतिकूलता वस्तुतः प्रतिकूल समय में संघर्ष करने हेतु हम सबके अंदर आवश्यक बल भरने के लिए ही आती है. जीवन में जयकार यदि इतना सहज हो गया तो कुछ और प्रयास एवं दुनिया को थोड़ा खूबसूरत बनाने में कौन अपने पसीने की मोतियों को लुटायेगा. किसी शायर ने क्या खूब कहा है
Explanation:
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,, X कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है, मन का विश्वास रगों मैं साहस भरता है, चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है, मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती, कोशिश करनेवालों की कभी हर नहीं होती।
डुबकियां सिन्धु में गोताखोर लगता है, जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है, मिलते न सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में, मुट्ठी उसकी खाली हरबार नहीं होती, कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो, क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो, जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम, संघर्षोंका मैदान छोड़ मत भागो तुम, कुछ किए बिना ही जयजयकार नही होती, कोशिश करनें वालों की कभी हार नही होती।