SUMMARY SUMMARY SUMMARY..NOT THE POEM..I want the SUMMARY of Dhool poem by Sarveshwar Dayal Saxena..!! I've given the full poem below..!! You could even answer what you've understood from the poem..!!
धूल:-
तुम धूल हो -
पैरों से रौंदी हुई धूल ।
बेचैन हवा के साथ उठो ,
आँधी बन
उनकी आँखों में पड़ो
जिनके पैरों के नीचे हो ।
ऐसी कोई जगह नहीं
जहाँ तुम पहुच न सको
ऐसा कोई नहीं
जो तुम्हे रोक ले ।
तुम धूल हो -
पैरों से रौंदी हुई धूल
धूल से मिल जाओ ।
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ईस कविता मे बताया गया है की तुम धूल हो
तुम बैचेन (बिना चेन के) हवा के साथ उडो
आधी बन कर उन के लाखो मे पडो जो तुमहारे पैरो के नीचे हो
___________________________________
ऐसी कोई जगह नाही है जहाँ धूल नही जा सकती
ऐसा कोई नाही जो धुल को रोक सके
__________________________________
Hope this helps you,☺
तुम बैचेन (बिना चेन के) हवा के साथ उडो
आधी बन कर उन के लाखो मे पडो जो तुमहारे पैरो के नीचे हो
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ऐसी कोई जगह नाही है जहाँ धूल नही जा सकती
ऐसा कोई नाही जो धुल को रोक सके
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Hope this helps you,☺
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