Sundar ka Dhyan Kahi Sundar kawita ka kawita kaun hai
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श्री गोपाल सिंह नेपाली जी की एक रचना सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर|
श्री गोपाल सिंह नेपाली का जन्म बिहार प्रदेश के चंपारण जिले के बेतिया ग्राम में हुआ था| पत्रकारिता के अतिरिक्त नेपाली जी ने काव्य सेवा भी की| उनकी आरंभिक कविताएँ छायावादी प्रभाव से समन्वित है| किन्तु कालांतर में उन्हों ने स्वतंत्र-पथ का निर्माण किया| "उमंग", "रागनी" ,"पंछी" उनके प्रसिद्द कविता संग्रह हैं| उनकी कविताओं में प्रकृति-प्रेम, जीवन की मस्ती तथा भावात्मक एकता की मधुर महक मिलती है|
सौ-सौ अंधियारी रातों से तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
मुख से मुख-छवि पर लज्जा का, झीना परिधान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
दुनियां देखी पर कुछ न मिला, तुझ को देखा सब कुछ पाया
संसार-ज्ञान की महिमा से, प्रिय की पहचान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
जब गरजे मेघ, पपीहा पिक, बोलें-डोलें गुलजारों में
लेकिन काँटों की झाड़ी में, बुलबुल का गान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
संसार अपार महासागर, मानव लघु-लघु जलयान बने
सागर की ऊँची लहरों से, चंचल जलयान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
तू सुन्दर है पर तू न कभी, देता प्रति-उत्तर ममता का
तेरी निष्ठुर सुन्दरता से, मेरे अरमान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
देवालय का देवता मौन, पर मन का देव मधुर बोले
इन मंदिर-मस्जिद-गिर्जा से, मन का भगवान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
शीतल जल में मंजुलता है, प्यासे की प्यास अनूठी है
रेतों में बहते पानी से, हिरिणी हैरान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
सुन्दर है फूल,बिहग, तितली, सुन्दर हैं मेघ, प्रकृति सुन्दर
पर जो आँखों में है बसा उसी सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
श्री गोपाल सिंह नेपाली का जन्म बिहार प्रदेश के चंपारण जिले के बेतिया ग्राम में हुआ था| पत्रकारिता के अतिरिक्त नेपाली जी ने काव्य सेवा भी की| उनकी आरंभिक कविताएँ छायावादी प्रभाव से समन्वित है| किन्तु कालांतर में उन्हों ने स्वतंत्र-पथ का निर्माण किया| "उमंग", "रागनी" ,"पंछी" उनके प्रसिद्द कविता संग्रह हैं| उनकी कविताओं में प्रकृति-प्रेम, जीवन की मस्ती तथा भावात्मक एकता की मधुर महक मिलती है|
सौ-सौ अंधियारी रातों से तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
मुख से मुख-छवि पर लज्जा का, झीना परिधान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
दुनियां देखी पर कुछ न मिला, तुझ को देखा सब कुछ पाया
संसार-ज्ञान की महिमा से, प्रिय की पहचान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
जब गरजे मेघ, पपीहा पिक, बोलें-डोलें गुलजारों में
लेकिन काँटों की झाड़ी में, बुलबुल का गान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
संसार अपार महासागर, मानव लघु-लघु जलयान बने
सागर की ऊँची लहरों से, चंचल जलयान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
तू सुन्दर है पर तू न कभी, देता प्रति-उत्तर ममता का
तेरी निष्ठुर सुन्दरता से, मेरे अरमान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
देवालय का देवता मौन, पर मन का देव मधुर बोले
इन मंदिर-मस्जिद-गिर्जा से, मन का भगवान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
शीतल जल में मंजुलता है, प्यासे की प्यास अनूठी है
रेतों में बहते पानी से, हिरिणी हैरान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
सुन्दर है फूल,बिहग, तितली, सुन्दर हैं मेघ, प्रकृति सुन्दर
पर जो आँखों में है बसा उसी सुन्दर का ध्यान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर
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