sur,mahisur pr verta na dekhane ka lakshman ne kya karan bataya
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परशुरामजी मुनीसु हैं। उन्होंने शिव-धनुष के टूट जाने पर राम को बुरा-भला कहा और बार-बार धनुष दिखाकर दंड देने की बात कही, फलस्वरूप लक्ष्मण अपना पक्ष रखते हुए उनसे बहस कर रहे हैं।
पर्युक्त पंक्ति लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से उस समय कही जब वे उन्हें बार-बार अपने क्रोध,पराक्रम और प्रतिष्ठा के विषय में बताते हुये उन्हें अपने फरसे की तीक्ष्णता से भी अवगत करा रहे थे जिसे सुन कर लक्ष्मण जी स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सके और प्र्त्युत्तर में बोले कि बार-बार ये कुल्हाड़ा दिखा कर आप मानो फूँक से पहाड़ उड़ाना चाहते हो तो यहाँ कोई कुम्हड बतिया अर्थात कमजोर नहीं हैं जो आपकी तर्जनी देख कर डर जाए। इस लोकोक्ति के द्वारा वे परशुराम जी को सचेत करना चाहते है कि उनकी बातों से वे तनिक भी नहीं डरे,उन्हे अपनी शक्ति और क्षमता पर पूरा विश्वास है और वे उनका घमंड तोड़ने का पूरा साहस रखते हैं। और यदि आपको अपनी क्षमता पर इतना ही घमंड है तो आकर हमसे युद्ध कीजिएगा हम युद्ध के लिए तैयार हैं। हम तो आपको एक ऋषि, महात्मा समझ कर छोड़ रहे हैं। पर हम ब्राह्मण और ऋषि, महात्माओं के साथ युद्ध नहीं करते हैं।