Hindi, asked by nehusonu7, 7 months ago

suraj ko dubte dekhne ka varnan

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Answered by PROprakash58
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Answer:

अक्सर लोग

उगते सूरज की लाली को प्रणाम कर

उसका हार्दिक स्वागत करते हैं

लेकिन

डूबते सूरज की मनमोहक लालिमा की ओर

उनका ध्यान कम ही जाता है

उसे प्रणाम करना तो क्या

उसकी तरफ देखना भी उनको गवारा नहीं

कुछ लोग

उगते सूरज की मनभावन लाली को

किसी स्थान विशेष से देखने के लिए

न जाने कहां-कहां जाते हैं

और

उसकी पृष्ठभूमि में

गर्व से फोटो खिंचवाते हैं

कुछ लोग

डूबते सूरज की मनभावन लाली को

किसी स्थान विशेष से देखने के लिए भी

न जाने कहां-कहां जाते हैं

लेकिन

उसकी पृष्ठभूमि में

फोटो खिंचवाने से कनी काटते हैं

उन्हें डूबते सूरज में छिपे

पूरे दिन के अनुभव की

झलक भी दिखाई नहीं देती

यह भी

सब को विदित है कि

सूरज न तो कभी चलता है

न ही उगता है

न ही डूबता है

वह तो अपनी जगह

स्थिर रहता है

पृथ्वी ही उसके चारों ओर चक्कर लगाती है

इस प्रक्रिया में

पृथ्वी का जो भाग

जिस समय उसके आगे आता है

वहां प्रकाश यानी दिन होता है

जो भाग उसके पीछे आता है

वहां अंधकार यानी रात होती है

ठीक उसी तरह

जैसे कि

पहले तो नवजात मानव-शिशु का

धूमधाम से स्वागत किकिया जाता है

बड़े प्यार से लालन-पालन किया जाता है

फिर वह गृहस्थी और नौकरी के चक्रव्यूह में

ऐसा फंसता है कि

बड़े जतन से

पाल-पोसकर बड़ा करने वाले अभिभावकों के

अनुभव सुनने और उनसे लाभ उठाने तक की

फुर्सत तक नहीं मिलती

एक दिन

डूबते सूरज की तरह

वे अपने अनुभवों को समेटे

चल बसते हैं

कुछ दिनों तक तो उन्हें याद किया जाता है

फिर वे विस्मृत कर दिए जाते हैं

ठीक उसी तरह

जैसे कि

थोड़ी देर बाद अनुभवी सूरज की महत्ता को

विस्मृत कर

चंद्रमा की शीतल चांदनी के

स्वागत से मन को

आनंदित कर दिया जाता है.

Explanation:

HOPE YOU UNDERSTAND IT

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