Hindi, asked by gpmblp, 9 months ago

surdas dwara rachit sursagar ki visheshta bataye​

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Answered by shishir303
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‘सूरदास’ के ‘सूरसागर’ की विशेषताएँ —

‘सूरदास’ द्वारा रचित ‘सूरसागर’ काव्य रस से भरा हुआ एक अद्भुत ग्रंथ है। इसमें विभिन्न भावों का दर्शन होता है और काव्य के अनेक रूपों के दर्शन होते हैं। ‘सूरदास’ हिंदी साहित्य जगत के एक कालजयी कवि हैं, उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रेम और भक्ति से भरी सुंदर काव्य कल्पनाओं का बड़ा भाव-प्रणव चित्रण किया है।

सूरदास के सूरसागर में मुख्यतः छः भाग हैं, जो निम्न प्रकार से हैं...

(1) विनय के पद

(2) श्रीकृष्ण की बाल-लीला से संबंधित पद

(3) श्रीकृष्ण के मनोहारी रूप और सौंदर्य के पद

(4) श्रीकृष्ण एवं राधा के प्रेमभाव के पद

(5) मुरली संबंधी पद

(6) वियोग व श्रृंगार के भ्रमरगीत के पद

विनय के पदों में सूरदास ने श्रीकृष्ण भक्ति का बड़ी सजीवता से वर्णन किया है और इन पदों में भक्ति के उपयुक्त नियम का पूरा ध्यान रखा है।

श्रीकृष्ण की बाल-लीला से संबंधित पदों में सूरदास ने श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं का ऐसे मधुर व मनमोहक भाव के साथ सजीव चित्रण किया है, कि श्रीकृष्ण की बाललीलायें जीवंत हो उठती हैंं।

श्रीकृष्ण के रूप और साैंदर्य के पदों में श्रीकृष्ण के मनमोहक रूप और सौंदर्य की ऐसी मनोहारी छवि प्रस्तुत की है, कि प्रत्येक जन ऐसे रूप-सौंदर्य का वर्णन सुनकर मंत्र-मुग्ध हुये बिना नही रहते।

श्रीकृष्ण-राधा के प्रेम-संबंधी पदों में सूरदास ने राधा को कृष्ण के साथ एक आराध्य देवी के रूप में प्रस्तुत करते हुये दोनों के प्रेम के रति संबंधी पक्ष व आध्यात्मिक पक्ष दोनों का सुंदरता से वर्णन किया है।

सूरदास ने मुरली संबंधी पदों में भगवान मुरली (श्रीकृष्ण) के अनेक रूपों को और अधिक व्यापक अर्थ देकर वर्णन किया है।

वियोग व श्रंग्रार संबंधी भ्रमरगीत के पदों में सूरदास ने कला के सर्वश्रेष्ठ व अद्भुत रूप का दर्शन कराया है। इन पदों में सूरदास ने सरसता एवं माधुर्य के साथ-साथ उद्धव के संदेश, गोपियों की झुंझुलाहट, प्रेमभाव से भरे उलाहने, व्यंग्य-विनोद, हास-परिहास आदि का अद्भुत वर्णन किया है।

इस प्रकार ‘सूरदास’ ने ‘सूरसागर’ में श्रीकृष्ण के बाल्य-काल से लेकर युवावस्था तक की संपूर्ण क्रीड़ाओं, चेष्टाओं एवं लीलाओं आदि का बड़े मनोहारी रूप में वर्णन करके अद्भुत व अप्रतिम काव्य की रचना की है।

Answered by singhvishudev
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Answer:

ab ke Rakhi lehu bhagvan

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