surdas ji ki jivni par lekh
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सूरदास का जन्म 1540(वि. स.) में रुनकता नामक गाँव में हुआ। यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के किनारे स्थित है। कुछ विद्वानों का मत है कि सूर का जन्म सीही नामक ग्राम में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह बहुत विद्वान थे, उनकी लोग आज भी चर्चा करते है।--- मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। सूरदास के पिता, रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषय में मतभेद है। प्रारंभ में सूरदास आगरा के समीप गऊघाट पर रहते थे। वहीं उनकी भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई और वे उनके शिष्य बन गए। वल्लभाचार्य ने उनको पुष्टिमार्ग में दीक्षित कर के कृष्णलीला के पद गाने का आदेश दिया। सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली ग्राम में १५८० ईस्वी में हुई।
सूरदास कवियों में सर्वोपरि है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास [हिंदी साहित्य] के [सूर्य] माने जाते हैं। जीवन परिचय भक्तिकालीन महाकवि सूरदास का जन्म रुनकता नामक ग्राम में 1540 वी.सं में पंडित रामदास जी के घर हुआ/ पंडित रामदास सारस्वत ब्राह्मण थे कुछ सीही नामक संस्था को सूरदास का जन्म स्थल मानते हैं। सूरदास जन्म से अंधे थे या नहीं इस संबंध में भी विद्वानों में मतभेद है उन्होंने हिंदी भाषा को ऊँचा रखने की कोशिश की। सूरदास बचपन से ही संगीत प्रेमी थे |1567 स्वामी वल्लभाचार्य के शिष्य बने | चौरासी वैष्णव की वार्ता में सूरदास और अकबर की भेंट का उल्लेख है सूरदास और तुलसीदास की भेंट का उल्लेख भी अनेक ग्रंथों में आया है |अधिकांश विद्वानों द्वारा सूरदास का देहात परसोली नामक गांव में संवत 1640 में हुआ माना गया है
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