Hindi, asked by anjaliguptadgp593, 5 months ago

surdas k pathit pado k adhar pr gopion ki virah dasha ka charith chitran
kijie

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Answered by dhandavinod83
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Explanation:

सूरदास के पद रिक्त पदों के आधार पर गोपियों की विरह दशा थी कि श्रीकृष्ण से बहुत ज्यादा प्यार करती थी वह उनके बिना रह नहीं सकती थी श्री कृष्ण का योग संदेश लेकर उधर आए थे जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह अब नहीं आ पाएंगे वह राज्य के कार्य में बहुत ज्यादा व्यस्त हैं इसलिए गोपियां बहुत ज्यादा नाराज हो गई थी और वह और उन्हें समझाने की कोशिश करें लेकिन वह नहीं समझते यह कह दे कि आप अपनी शिक्षा उन को समझाइए जो अपने प्यार के चक्कर में ना पड़े हैं

Answered by Rameshjangid
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महाकवि सूरदास के छः पद संकलित हैं। इन पदों में गोपियों के विरह वेदना ह्रदय की भावनाएं व्यक्त हुई हैं।

उद्धव के मुख से कृष्ण का योग सन्देश सुनकर गोपियों को बड़ा ही आघात हुआ और उन्होंने अपनी भावनाएंँ उद्धव तथा श्री कृष्ण पर व्यंग्य करते हुए व्यक्त किया है। गोपियांँ उद्धव के योग उपदेश को कड़वी ककड़ी के समान (कड़वी ककड़ी के बराबर) बताते हैं।

सूरदास जी कहते हैं कि गोपियों के मन में जो अभिमान आया था । उसे दूर करने के लिए ही भगवान श्री कृष्ण ने रास के बीच में ही छुप गये । वह गोपियां व्यग्र होकर वृंदावन में कान्हा को ढूंढती है । विरह वेदना में अपने प्रियतम को पुकारती है। और भगवान कृष्ण दो - दो गोपियों के बीच प्रकट होकर रास रचाते हैं। सूरदास जी ने गोपियों की श्री कृष्ण के विरह वेदना की छवि का वर्णन किया है।

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