Hindi, asked by ramtanu51, 1 year ago

Surdas ka likha ek poem

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Answered by AyushSinghRajput09
3
जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोइ सोइ कछु गावै॥
मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै।
तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै॥
कबहुं पलक हरि मूंदि लेत हैं कबहुं अधर फरकावैं।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि करि करि सैन बतावै॥
इहि अंतर अकुलाइ उठे हरि जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ सो नंद भामिनि पावै॥

AyushSinghRajput09: I don't know
AyushSinghRajput09: u tell me who is he
AyushSinghRajput09: and I know him Who is he in now Dp
Answered by Harrypotter723
4

“मुखहिं बजावत बेनु धनि यह बृन्दावन की रेनु। नंदकिसोर चरावत गैयां मुखहिं बजावत बेनु।।


मनमोहन को ध्यान धरै जिय अति सुख पावत चैन। चलत कहां मन बस पुरातन जहां कछु लेन न देनु।।


इहां रहहु जहं जूठन पावहु ब्रज बासिनी के ऐनु। सूरदास ह्यां की सरवरि नहिं कल्पब्रूच्छ सुरधेनु।।”


ramtanu51: Surdas written this
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