Music, asked by suhanibarman808, 9 months ago

Surdas Ke Brahma geet ki mukhya visheshtaen Apne shabdon mein likhen​

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here is ur answer

Answer: सूरदास के पदों के आधार पर भ्रमर गीत की विशेषताएँ

Explanation: इन पदों की भाषा ब्रजभाषा है | इन पदों में गोपियों तथा उद्धव जी का संवाद है । इसमें गोपियाँ भ्रमर अर्थात भौंरे के माध्यम से अपरोक्ष रूप से उद्धवजी को उलाहना दे रही है | गोपियां उद्धव जी को अपनी विरह व्यथा का वर्णन करते हुए उन्हें तथा उनके ज्ञान मार्ग को व्यंगात्मक रूप से श्रेष्ठ घोषित करती है । वे अपने ह्रदय की विवशता तथा मन की सहजता का भी पक्ष रखती है ।

इन पदों के माध्यम से सूर ने सगुण साकार की भक्ति में पाठक गण को सराबोर कर दिया है । यहां गोपियों का अनन्य कृष्ण प्रेम एक उज्ज्वल अविरल अजस्त्र गंगोत्रीरूपी अबाध एवं अकाट्य प्रवाह की भांति है जिसमें उद्धव के शुष्क ज्ञान की अहमन्यता एक सूक्ष्म तिनके की तरह डूबकर तर गई है।

इन पदों में पुनरुक्ति, उत्प्रेक्षा ,अनुप्रास और रूपक आदि अलंकारों का बखूबी प्रयोग किया है। इनमें भक्ति मार्ग के माध्यम से सगुण साकार की उपासना द्वारा प्रेम की श्रेष्ठता सिद्ध करने में सूर पूर्णतः सफल हुए हैं ।

सांसारिक लोगों को निर्गुण के कंटकाकीर्ण मार्ग से बचाकर उन्हें भक्ति का विस्तृत राजमार्ग दिखाने के लिए ही सूर ने भ्रमरगीत की रचना की है। ज्ञान की कोरी वचनावली और योग के थोथे साधनों का साधारण लोगों में विशेष प्रचार बोझिल लगने लगता है।

भ्रमरगीत में महाकवि सूर ने एक ओर तो सगुण भक्ति का उत्कर्ष निर्गुण भक्ति की तुलना में दिखाया है ओर दूसरी ओर हृदय की कोमलतम वृत्तियाँ भी इस भ्रमरगीत में चरमोत्कर्ष रूप में व्याप्त हैं जो 'भ्रमरगीत’ प्रसंग को हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि बना देती है।

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\huge{\red{\underline{\textsf{Answer}}}}

&lt;html&gt;&lt;head&gt;&lt;bodybgcolor="cyan"&gt;&lt;font size="3" color="black"&gt;&lt;b&gt;सूरदास का भ्रमर गीत में उद्धव गोपियों के पास योग संदेश ले कर आए थे उस उद्देश्य का वर्णन किया है |  </p><p></p><p>भ्रमर गीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को बर्ज संदेस लेकर भेजा जाता है और उद्धव जो हैं योग और ब्रह्म के ज्ञाता हैं उनका प्रेम से दूर-दूर का कोई सरोकार नहीं है। जब गोपियाँ व्याकुल होकर उद्धव से कृष्ण के बारे में बात करती हैं और उनके बारे में जानने को उत्सुक होती हैं तो वे निराकार ब्रह्म और योग की बातें करने लगते हैं तो खीजी हुई गोपियाँ उन्हें काले भँवरे की उपमा देती हैं। गोपियों ने वे कहती हैं कि उद्धव अपने उपदेश उन्हें दें जिनका मन कभी स्थिर नहीं रहता है। उन्होंने उद्धव प्रसंग में 'भ्रमरगीत' के भीतर इसके लिए स्थान निकाला ।</p><p></p><p>.&lt;/html&gt;&lt;/head&gt;&lt;/body&gt;&lt;/font&gt;&lt;/b&gt;

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