surdas ke dohe with bavarth
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इस दोहे में सूरदास प्रभु कृष्ण से कहते हैं कि मुझे मेरा उद्धार कर दो। इस संसार में माया रूपी जल भरा हुआ है, लालच रूपी लहरें हैं, कामवासना रूपी मगरमच्छ है, इंद्रियां मछलियों के समान है। मेरे सिर पर अनेक पापों की गठरी रखी हुई है। मेरे जीवन में कई प्रकार का मोह भरा हुआ है।श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहने वाले सूरदास जी भक्ति काल के सगुण धारा के महाकवि थे। सूरदास जी, को हिन्दी साहित्य की अच्छी जानकारी थी इसलिए उन्हें हिन्दी साहित्य का विद्धान माना जाता था।
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