Hindi, asked by ronghangjohn99, 3 months ago

Surdas ke hindi shahitya ke prati yogdan ka vivaran prastut kare? ​

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Answered by satyamK27
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Answer:

नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के 16 ग्रंथों का उल्लेख है। इनमें सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो के अतिरिक्त दशमस्कंध टीका, नागलीला, भागवत्, गोवर्धन लीला, सूरपचीसी, सूरसागर सार, प्राणप्यारी, आदि ग्रंथ सम्मिलित हैं। इनमें प्रारम्भ के तीन ग्रंथ ही महत्त्वपूर्ण समझे जाते हैं, साहित्य लहरी की प्राप्त प्रति में बहुत प्रक्षिप्तांश जुड़े हुए हैं।सूरदास को हिंदी साहित्य का सूरज कहा जाता है। वे अपनी कृति “सूरसागर” के लिये प्रसिद्ध है। कहा जाता है की उनकी इस कृति में लगभग 100000 गीत है, जिनमे से आज केवल 8000 ही बचे है। उनके इन गीतों में कृष्ण के बचपन और उनकी लीला का वर्णन किया गया है। सूरदास कृष्ण भक्ति के साथ ही अपनी प्रसिद्ध कृति सूरसागर के लिये भी जाने जाते है। इतना ही नहीं सूरसागर के साथ उन्होंने सुर-सारावली और सहित्य-लहरी की भी रचना की है।

सूरदास की मधुर कविताये और भक्तिमय गीत लोगो को भगवान् की तरफ आकर्षित करते थे। धीरे-धीरे उनकी ख्याति बढती गयी, और मुघल शासक अकबर (1542-1605) भी उन्हें दर्शक बन गये। सूरदास ने अपने जीवन के अंतिम वर्षो को ब्रज में बिताया। और भजन गाने के बदले उन्हें जो कुछ भी मिलता उन्ही से उनका गुजारा होता था। कहा जाता है की इसवी सन 1584 में उनकी मृत्यु हुई थी।

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