surdas ke padh class. 10th. important q
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CBSE Chapter wise Questions for Class 10 Hindi
सूरदास (पद)
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
ऊधौ, तुम हो अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर, ता रस देह न दागी।
ज्य जल माहूँ तेल की गागरिं, बूंद न ताका लागी।
प्रीति-नदी में पाउँ न बोर्दी, दृष्टि न रूप परागी।
‘सूरदास’ अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पाग।
1गोपियों ने ‘बड़भागी’ कहकर उद्धव के व्यवहार पर कौन-सा व्यंग्य किया है?
2उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किससे की गई है?
अंतिम पंक्तियों में गोपियों ने स्वयं को ‘अबला’ और ‘भोरी’ क्यों कहा है?
3गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण कैसा है?
4राजा का क्या धर्म होता है?
कृष्ण जी ने उद्धव को योग का संदेश लेकर गोपियों के पास क्यों 5भेजा ?
6गोपियाँ उद्धव की बातों से क्यों निराश हो गई ?
7आपके द्वारा पठित सूरदास के पदों में किस रस की प्रधानता है? इसमें कौन-कौन प्रमुख पात्र हैं?
सूरदास (पद)
Answer
1गोपियों द्वारा व्यंग्य-उद्धव का इतना ज्ञानी होना कि कृष्ण के साथ रहते हुए भी उनके मन में प्रेम के प्रति तनिक भी अनुरक्ति की भावना का उद्भव नहीं हुआ।
2पानी के अन्दर रहने वाले कमल के पत्ते से की गई हैं जो कीचड़ और जल से अछूता रहता हैं। तेल से चुपड़ी गगरी से जिसके ऊपर पानी की एक बूँद भी नहीं ठहरती है। यह स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी प्रेम के साकार रूप श्रीकृष्ण के समीप रहते हुए भी उद्धव उनके कृपापात्र नहीं बन पाए।
गोपियाँ ज्ञानी नहीं हैं। जिस प्रकार चीटियाँ गुड़ में चिपक जाती हैं उसी प्रकार वे भी कृष्ण के प्रेम में डूबी रहती हैं। उन्हें प्रेम के अतिरिक्त ज्ञान की बातें समझ नहीं आतीं अर्थात कृष्ण के प्रति उनका एकनिष्ठ प्रेम है ।
3गोपियों के अनुसार योग-साधना एक कड़वी ककड़ी के समान है योग साधना को वे एक ऐसी व्याधि के समान माना है जिसे पहले कभी न देखा, न सुना और न भोगा है। वे उसे निरर्थक एवं अरुचिकर मानती हैं। कृष्ण प्रेम को छोड़कर वह किसी अन्य मार्ग को अपनाना ही नहीं चाहते वह जीते मरते सिर्फ कृष्ण प्रेम में ही जीना और मरना चाहती हैं।
4उद्धव से गोपिया कहती है कि राजा का धर्म वह होता है जो सदैव अपनी प्रजा का हित चिंतन करे, उन्हें कभी न सताये उनके हित में कार्य करें किन्तु कृष्ण जी ने राजधर्म का पालन नहीं किया वे मथुरा जाकर हमको भूल गए और आपको हमें योग की शिक्षा देने के लिए गोकुल में भेजा है तो यह कहां का राजधर्म है।
5क्योंकि उध्दव अपने आप को निर्गुण भक्ति का सबसे बड़ा भक्त मानता था इसलिए कृष्ण जी ने सोचा कि इसे गोपियों के पास भेजते हैं और देखते हैं कि यह उन्हें निर्गुण भक्ति का संदेश दे पाते हैं या नहीं क्योंकि गोपियाँ रात-दिन सोते जागते सिर्फ उन को ही याद करती रहती है और उनके वापस आने की अवधि को आधार बना कर विरह रूपी अग्नि से अपने शरीर को जला रही है। उस रास्ते की ओर देखती रहती हैं जिधर से कृष्ण जी को वापस आना था इसलिए गोपियों की विरहग्नि को शांत करने और उनके मन को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने उद्धव को योग का संदेश लेकर भेजा ताकि उनके व्याकुल मन को शांति मिल सके।
6गोपियाँ उद्धव से श्रीकृष्ण के प्रेम का सकारात्मक उत्तर सुनने को विचलित हो रहीं थीं, किन्तु उद्धव कृष्ण की बात न करके ज्ञान और योग की संदेश देना आरम्भ कर दिया, जिसे सुनकर वे निराश हो उठीं कि यह किस प्रकार का संदेश कृष्ण ने हमारे लिए भेजा है।
7सूरदास के पदों में श्रृंगार और वात्सल्य रस की प्रधानता है। परन्तु इन पदों में गोपियों का विरह का वर्णन है इसलिए इनमें वियोग श्रृंगार रस की प्रधानता है। सूरदास के काव्य में गेयता का गुण विद्यमान है। सूरदास को श्रृंगार और वात्सल्य का सम्राट कहा जाता है । इनमें कृष्ण, उद्धव, गोपियाँ तथा माता यशोदा आदि प्रमुख पात्र हैं