Suryakant Tripathi ki kavita per todti pathar Kavi ne mahila ko kis roop mein dekha?
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एक साधनहीन और असहाय नारी इलाहाबाद के पथ पर बैठकर पत्थर तोड़ रही है। आसपास कोई छायादार पेड़ नहीं है। धूप चढ़ रही थी। गर्मी के दिन थे। शरीर को झुलसा देनेवाली धूप थी। गर्म हवा और धूल उड़ रही थी। दुपहर का समय था। इसी परिस्थिति में वह नारी पत्थर तोड़ रही थी।
गर्मियों की तपती दुपहरी में निराला जी ने एक स्त्री को पत्थर तोड़ते हुए देखा था।
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