Suryast ki sundarta ka varnan karte hue Ek Kavita
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I have given pictures of a long poem related to the beauty of sunset. Pictures were uploaded un accordingly so I have written numbers on them so that you will understand in their real sequence
सूर्यास्त की आभा भी जब अस्त हो रही होती है
यह कविता ज्ञानेन्द्रपति द्वारा लिखी गई है , कवि ने कविता में सूर्यास्त का बहुत अच्छा वर्णन किया है|
सूर्यास्त के समय में वातावरण बहुत शांत और उदास-सा हो जाता है| सूर्य अपने चारों और लालिमा छोड़ता है और धीरे-धीरे अस्त हो जाता है| सूर्यास्त में अंधेरा घिरते देखकर बहुत अच्छा लगता है| सब पशु-पक्षी अपने-अपने घरों में सोने चले जाते है| वातावरण इतना शांत होता है कि , इतना सुखद होता है न चाहते हुए भी किसी की आँख लग सकती है| यह अतुलनीय सुन्दरता हर शाम देखने को मिलती है|
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Anuched : suryoday ka varnan.