susanskar se bachpan ghadhta hai isper apne vichar likhiye
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बच्चों में संस्कार बचपन से दिए जाना चाहिए तभी उनमें अच्छे संस्कारों का समावेश होता है। जब तक जीवन मिला है उस समय तक भगवान की भक्ति में लगे रहना चाहिए। हालांकि मनुष्य इसके विपरीत करता है। जब व्यक्ति बुढ़ापे की ओर जाता है तब भगवान की भक्ति में लगने का प्रयास करता है। संस्कार मानव जीवन की अनिवार्य जरूरत है। बगैर संस्कार के हम अपने जीवन को धर्म व अध्यात्म से नहीं जोड़ सकते हैं।
उक्त बातें शहर के विश्वनाथपुरी में जारी एक कुण्डीय संकट मोचन हनुमान यज्ञ, शिव शक्ति प्राण प्रतिष्ठा और श्रीमद भागवत कथा सप्ताह महोत्सव में कथा वाचक महामंडलेश्वर यशोनंद महाराज पंडित अजय पुरोहित ने व्यक्त किए। गुरुवार को सुबह नित्य पूजन, पत्र, पुष्प, धूप धृताधिवास सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया।
वहीं देर रात को जारी भागवत कथा में बताया कि राजा परीक्षित को भागवत कथा का श्रवण करने से ही मोझ की प्राप्ति हुई। उन्होंने राजा परीक्षित का उदाहरण देते हुए बताया कि कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि आज कलियुग में जहां अनेक प्रकार की बुराइयां हैं। उन बुराइयों से समाज को मुक्त करने का पवित्र और आध्यात्मिक साधन श्रीमद् भागवत है।