svarg ko prapt write it's bedh
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मृत्यु के बाद तो सभी लोगो को स्वर्ग जाने की इच्छा होती है। चाहते है वहां पर इन्द्र के दरबार में ऐश है, धन है, सौंदर्य है, सरी कामनाओं की पूर्ति की जाती है। मन में जितनी भी इच्छाएं है वह सब की पूर्ति की जाती है। जो भी चाहिए, कल्पवृक्ष से मांग लो। जो वासनाएं सेष रह गई है वह सभी पूर्ण हो जाएगी। यह भ्रम के साथ सभी लोग स्वर्ग जाना चाहते है। अगर नर्क की बात करे तो वहां पर सभी लोगो पर तरह तरह की यातनाएं दी जाती है जैसे; ज़ंजीरों से मारना, तेल में तलना, अंगारों पर चलना, मुंह में जलते अंगारे रखना बगैराह बगैरह। इंसानों ने यह कैसे भ्रांति पाल रखी है? हम स्वर्ग और नर्क को स्थान विशेष की संज्ञा देने की भूल करते है जो कि गलत है। बहारी स्वर्ग और नर्क तो केवल हमारी मनोदशा है। यह तो हमारे संतोष और असंतोष का केवल प्रत्यक्षीकरण है। हमारे सुख, हमारे दुख, इच्छा, क्षुधा का प्रत्यक्षीकरण है। हमारी आसक्ति और अनासक्ति की संकेतक है।
Answer:
heeyyyy......
hru guys.....
just for fun...