Swabhiman par Das Vakya likhiye ya Apne vichar likhiye
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यदि आप अत्यधिक सफल व्यक्तियों व महानुभावों के जीवन का परीक्षण करें तो आप एक विशेषता पाएंगे। व्यक्तित्व का एक ऐसा पहलू जो उन सब में था और जिसे वे कदापि ना त्यागते – स्वाभिमान। संभवतः वे विनम्र थे, किंतु उन्हें अपने कार्य पर सम्पूर्ण गर्व था और वे इस प्रकार आत्मविश्वास से काम किया करते कि कभी कभी तो घमंड और गौरव, अभिपुष्टि और अहंकार के बीच की रेखा भी अस्पष्ट दिखाई देती।
स्वयं को महत्वपूर्ण मानने से आत्मविश्वास आता है, स्वयं के कार्य को महत्वपूर्ण मानने से दृढ़ मत आता है तथा दूसरों को महत्वपूर्ण प्रतीत करवाने से संतोष मिलता है। वास्तव में, दूसरों के मन में महत्ता की भावना को बिठाने की क्षमता एक प्राथमिक अंतर है जो एक उत्तम नेता को आम प्रबंधक से तथा विशिष्ट को साधारण से भिन्न करता है।
स्वाभिमान एक ऐसा शब्द है जिस से सामान्यतः घृणा की जाती है। बहुधा उसे अहंकार का समानार्थी माना जाता है। हो सकता है उसमें नकारात्मक संकेतार्थ भी हो। किंतु सफल जीवन जीने के लिए स्वाभिमान एक आवश्यक तत्व है, विशेषतः जब उचित ढंग से उसका उपयोग किया जाए। मैं इस विषय को दो भाग में वर्गीकृत करता हूँ –
१. यह विश्वास करना कि आप महत्वपूर्ण हैं
जब आपको यह प्रतीत होने लगे कि आप जो कर रहे हैं वह महत्त्वपूर्ण है तथा यदि आप अपने आप में विश्वास करें तो आपको आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। यह विश्वास करना कि आपका कार्य जितना भी छोटा हो किंतु अर्थपूर्ण है आपके आत्म सम्मान को बढ़ावा देता है। ऐसा मनोबल आपके आत्म-विश्वास को प्रोत्साहित करता है और आत्म-विश्वास आपके लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु महत्वपूर्ण तत्व है, चाहे वे आध्यात्मिक प्रयत्न हो अथवा भौतिक लक्ष्य।
आप स्वयं को कितना महत्त्वपूर्ण मानते हैं यह तीन तत्वों द्वारा प्रभावित होता है – प्रथम, आप स्वयं को क्या मानते हैं और किस दृष्टिकोण से देखते हैं। द्वितीय, आप जो कार्य कर रहे हैं उसमें कितने सफल हैं। तृतीय, अन्य व्यक्ति आपको क्या मानते हैं और किस दृष्टिकोण से देखते हैं। यदि आप स्वयं के लिए जो महत्व रखता है उसी दिशा में निष्ठापूर्ण कार्य करें, तो प्राथमिक तत्व स्वयं बढ़ने लगता है। जैसे ही प्रथम एवं द्वितीय तत्व में विकास होने लगता है तब तृतीय तत्व का महत्व नहीं रह जाता।
२. अन्य व्यक्तियों को महत्व देना
प्रत्येक नेता में यह गुण होता है। यह गुण संबंधों में सुमेल एवं सहमति का निर्माण करने में सहायता करता है। संबंध चाहे व्यावसायिक हो या व्यक्तिगत, यदि आप किसी को प्रेरित करना चाहते हैं, उन में आप के प्रति विश्वास एवं निष्ठा जगाना चाहते हैं, तो यह आवश्यक है कि आप उन्हें यह अनुभव कराएं कि वे महत्वपूर्ण हैं। जब आप किसी को उनके महत्व का अनुभव कराते हैं तो आप उनके साथ एक विशिष्ट बंधन का निर्माण करते हैं। आप का संबंध एवं उससे जो शक्ति मिलती है वह विशिष्ट बन जाता है। यह स्नेह का लक्षण है। स्वत: उस व्यक्ति में आप के प्रति सकारात्मक भावना जागेंगी।
अन्य को महत्वपूर्ण होने का अनुभव कराने की तीन विधियाँ हैं –
१) प्रशंसा
सच्चे दिल से की गई प्रशंसा क्या कर सकती है यह देख कर आप विस्मित हो जाएँगे। निश्चित रूप से प्रत्येक में कुछ गुण होते हैं। उन गुणों पर ध्यान दें व आदर अभिव्यक्त करें। इस प्रकार आप की प्रशंसा वास्तविक, यथार्थ व तथ्यपूर्ण रहती है और उसका प्रभाव अगाध एवं शाश्वत रहता है। जब दोनों पक्ष प्रसन्न हों तो सहजता से संबंध को पोषित किया जा सकता है।