Hindi, asked by yadavds100, 11 months ago

swachhata abhiyan ke prati jagruk karne ke liye aapka lekhak chhapne Wale sampadak Ko dhanyavad kahate hue Patra likhiye in (hindi)

Answers

Answered by harpreet2223
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सेवा में ,

मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ,

नगर निगम ,

लखनऊ ।

दिनांक : 12-02-2017

विषय :मोहल्ले में व्याप्त गंदगी के विषय में।

मान्यवर,

दुःख के साथ कहना पड़ता है कि पिछले कुछ दिनों से हमारे मोहल्ले में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। जिसके कारण मोहल्लेवासियों का जीना दूभर हो गया है।

मोहल्ले में जहां-तहाँ सड़कों-गलियों में फेके गए कूड़े कचरे के ढेर पर पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। चारों ओर फैली गंदगी के कारण पुरे मोहल्ले में मक्खियों और मच्छरों का साम्राज्य फैला है। जिससे तरह-तरह की बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है।

अतः आपसे नम्र निवेदन है की हमारे मोहल्ले में जल्द से जल्द साफ़-सफाई करवाई जाये ,जिससे मोहल्ले के लोगों को नरक का जीवन गुजारने से मुक्ति मिल सके।

धन्यवाद।

प्रार्थी

राजाजीपुरम वासी

लखनऊ

स्वच्छता का अर्थ होता है हमारे शरीर , मन और हमारे चारों तरफ की चीजों को साफ करना। प्रारम्भिक जीवन से ही खेती की जानी चाहिए। स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण होता है। यह विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाव के सरलतम उपायों में से एक सबसे प्रमुख उपाय है।

यह जीवन की आधारशिला होती है। इसमें मानव की गरिमा , शालीनता और आस्तिकता के दर्शन होते हैं। स्वच्छता के द्वारा मनुष्य की सात्विक वृत्ति को बढ़ावा मिला है। रोजमर्रा के जीवन में हमें अपने बच्चों को साफ-सफाई के महत्व और इसके उद्देश्यों को भी समझाना चाहिए।

स्वच्छता का महत्व : मानसिक , शारीरिक , बौद्धिक और सामाजिक हर तरीके से स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी होती है। स्वच्छता गंदगी को दूर रखने के अभ्यस्त कामों को संदर्भित करता है जो व्यक्तिगत और पर्यावर्णीय स्वच्छता प्रथाओं के बाद अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए होता है।

यह साफ होने की स्थिति को संदर्भित करता है। यह कार्य बाध्यकारी नहीं होता है। स्वच्छता को मनुष्य को स्वंय करना चाहिए। हमारी भारतीय संस्कृति में भी वर्षों से यह मान्यता है कि जहाँ पर सफाई होती है वहाँ पर लक्ष्मी का वास होता है। हमारे भारत के धर्मग्रन्थों में साफ-सफाई और स्वच्छता के बारे में बहुत से निर्देश दिए गए हैं।

स्वच्छता की आवश्यकता : साफ-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। वह अपने और आस-पास के क्षेत्र को साफ रखना चाहता है। वह अपने कार्यस्थल पर गंदगी नहीं फैलने देता। अगर वह सफाई नहीं रखेगा तो साँपों , बिच्छुओं , मक्खियों , मच्छरों तथा अन्य हानिकारक कीड़े-मकोड़ों आपके घर में प्रवेश करेंगें जिससे अनेक प्रकार के रोग और विषैले कीटाणु घर में चारों तरफ फ़ैल जायेंगे।

बहुत से लोगों का यह कहना होता है कि यह काम सरकारी एजंसियों का होता है इसलिए खुद कुछ न करके सारी जिम्मेदारी सरकार पर छोड़ देती है जिसकी वजह से लोग अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं हो पाते हैं और चारों तरफ गंदगी फैला देते हैं। जिसकी वजह से अनेक प्रकार के रोग और बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं

स्वच्छता के उपाय : अगर हम अपने घर और आस-पास के क्षेत्र में साफ-सफाई रखेंगें तो हम बहुत से रोगों के कीटाणुओं को नष्ट कर देंगे। सफाई रखकर मनुष्य अपने चित्त की प्रसन्नता प्राप्त कर सकता है। सफाई मनुष्य को अनेक प्रकार से रोगों से बचाती है। साफ-सफाई के माध्यम से मनुष्य अपने आस-पास के वातावरण को दूषित होने से बचा सकता है।

कुछ लोग साफ-सफाई को बहुत कम महत्व देते हैं और ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहाँ पर आस-पास कूड़ा कचरा फैला होता है। उन्हें अपने व्यवहार में परिवर्तन करना चाहिए और आस-पास के क्षेत्र को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए। स्वच्छता का संबंध खान-पान और वेश-भूषा से भी होता है।

रसोई की वस्तुओं और खाने-पीने की वस्तुओं का विशेष रूप से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। बाजार से लाए जाने वाले फल , सब्जी और अनाज को अच्छी तरह से धोकर प्रयोग में लाना चाहिए। पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में और ढककर रखना चाहिए। गंदे कपड़े कीटाणु युक्त होते हैं इसलिए हमें हमेशा कीटाणु रहित और साफ-सुथरे कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए

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