Hindi, asked by Sachinverma1921, 8 months ago

Swadesh prem par nibandh in hindi 200 to 300 words​

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Answered by Anonymous
8

स्वदेश का अर्थ है अपना देश अर्थात अपनी मातृभूमि | यह वह स्थान होता है जहाँ हम पैदा होते है, पलते है और बड़े होते है | जननी तथा जन्मभूमि की महिमा का स्वर्ग से बढकर बताया गया है | जिस देश में हम जन्म लेते है तथा वहाँ का अन्न, जल, फल, फूल आदि खाकर हम बड़े होते है उसके ऋण से हम उऋण नही हो सकते है | मातृभूमि के महत्त्व को संस्कृति की इस कहावत में वर्णित किया है – ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात जन्म देकर पालन-पोषण करने तथा प्रत्येक आवश्यक वस्तु प्रदान करने वाली मातृभूमि का महत्त्व तो स्वर्ग से भी बढ़ कर है | यही कारण है कि स्वदेश से दूर जाकर मनुष्य तो क्या पशु-पक्षी भी एक प्रकार की उदासी व रुग्णता (Home sickness) का अनुभव करने लगते है |

स्वदेश प्रेम मानव में ही नही, पशु –पक्षियों तथा किट – पतंगो में भी निरन्तर तरंगित होता रहता है | पशु-पक्षी दिन भर दूर-दूर तक विचरण करने के बाद सांय को सूर्यास्त के बाद अपने – अपने स्थानों को लौट आटे है | विदेश में बैठे हुए व्यक्ति भी स्वदेश-प्रेम से पीड़ित रहते है | अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता और रक्षा के सामने व्यक्ति अपने प्राणों तक के महत्त्व को तुच्छ मान लेता है | वह अपनी सभी सुख – सुविधाएँ यहा तक कि अपने प्राण भी उस पर न्यौछावर कर देने से नही झिझकता |

विश्व में अनेक ऐसे नर-रत्न हुए है जिन्होंने स्वदेश प्रेम के कारण हँसते हँसते मृत्य का आलिंगन किया है | इसी स्वदेश प्रेम की भावना से प्रेरित होने पर महाराणा प्रताप ने अनेको कष्ट शे तथा शहीद भगतसिंह हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे पर झूल गे थे | देश की रक्षा के लिए अपने तन-मन को न्यौछावर कर देने वाले व्यक्ति अमर हो जाते है | इसी स्वदेश प्रेम के कारण राष्ट्रपिता गाँधीजी ने अनेको कष्ट सहे, जेलों में गए तथा अन्त में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए | पं. जवाहर लाल नेहरु जी ने भी इसी राष्ट्रप्रेम की भावना से ओत –प्रोत होकर अपने राजसी सुखो का त्याग कर दिया | इनके अतिरिक्त छत्रपति शिवाजी , रानी लक्ष्मीबाई , तांत्या टोपे, गुरु गोविन्दसिंह आदि वीरो ने भी हँसते- हँसते स्वदेश की रक्षा में अपने प्राण अर्पित कर दिए | जिस देश में ऐसे सच्चे देशभक्त होते है, उस देश का कोई बाल भी बांका कैसे कर सकता है ? हमारे देश की धरती अपने इन महान वीरो की स्मृति को अपने ह्रदय से छिपा कर रखेगी |

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Answered by aasthachaudhary79
3

Answer:

please Read the following attachment carefully.

Quotations are ::

1---

जो भरा नही है भावो से

बहती जिसमे रसधार नही

वह हदय नही पत्थर है

जिसमे स्वदेश का प्यार नही

2---

श्री राम जी ने कहा था - जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी

जिसका अर्थ है जननी जन्मभूमि स्वरग से भी बढ़कर है

3--

जिसको निज गौरव तथा

निज देश का अभिमान है

वह नर नही पशु निरा है

और मृतक समान है

आशा करती हूं ये आपकी मदद करेगा

Please mark it as brainliest.

#BAL

#ASNWERWITHQUALITY

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