History, asked by kaminijoshi1978, 11 months ago

Swami shraddhanand ne pidito ki seva ke liya kya kiya​

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Answered by rsultana331
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Explanation:

पूरा नाम स्वामी श्रद्धानन्द

अन्य नाम बृहस्पति, मुंशीराम

जन्म 22 फ़रवरी, 1856

जन्म भूमि जालंधर, पंजाब

मृत्यु 23 दिसम्बर, 1926

मृत्यु स्थान चाँदनी चॉक, दिल्ली

अभिभावक पिता- लाला नानकचंद

पति/पत्नी शिवा देवी

संतान दो पुत्र तथा दो पुत्रियाँ

गुरु स्वामी दयानन्द सरस्वती

कर्म भूमि भारत

प्रसिद्धि समाज सेवक तथा स्वतंत्रता सेनानी

विशेष योगदान 1901 में स्वामी श्रद्धानन्द ने अंग्रेज़ों द्वारा जारी शिक्षा पद्धति के स्थान पर वैदिक धर्म तथा भारतीयता की शिक्षा देने वाले संस्थान "गुरुकुल" की स्थापना हरिद्वार में की। इस समय यह मानद विश्वविद्यालय है, जिसका नाम 'गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय' है।

नागरिकता भारतीय

अन्य जानकारी स्वामी श्रद्धानन्द ने दलितों की भलाई के कार्य को निडर होकर आगे बढ़ाया, साथ ही कांग्रेस के स्वाधीनता आंदोलन का बढ़-चढ़कर नेतृत्व भी किया। कांग्रेस में उन्होंने 1919 से लेकर 1922 तक सक्रिय रूप से महत्त्‍‌वपूर्ण भागीदारी की थी।

स्वामी श्रद्धानन्द (अंग्रेज़ी: Swami Shraddhanand; जन्म- 22 फ़रवरी, 1856, जालंधर, पंजाब; मृत्यु- 23 दिसम्बर, 1926, दिल्ली) को भारत के प्रसिद्ध महापुरुषों में गिना जाता है। वे ऐसे महान् राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। स्वामी श्रद्धानंद ने स्वराज्य हासिल करने, देश को अंग्रेज़ों की दासता से छुटकारा दिलाने, दलितों को उनका अधिकार दिलाने और पश्चिमी शिक्षा की जगह वैदिक शिक्षा प्रणाली का प्रबंध करने जैसे अनेक कार्य किए थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वे 18वीं शती में हिन्दुओं और मुस्लिमों के सर्वमान्य नेता थे।

Answered by pratyushi1998
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Answer:

स्वामी श्रद्धानन्द (अंग्रेज़ी: Swami Shraddhanand; जन्म- 22 फ़रवरी, 1856, जालंधर, पंजाब; मृत्यु- 23 दिसम्बर, 1926, दिल्ली) को भारत के प्रसिद्ध महापुरुषों में गिना जाता है। वे ऐसे महान् राष्ट्रभक्त संन्यासियों में अग्रणी थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। स्वामी श्रद्धानंद ने स्वराज्य हासिल करने, देश को अंग्रेज़ों की दासता से छुटकारा दिलाने, दलितों को उनका अधिकार दिलाने और पश्चिमी शिक्षा की जगह वैदिक शिक्षा प्रणाली का प्रबंध करने जैसे अनेक कार्य किए थे। सबसे बड़ी बात यह थी कि वे 18वीं शती में हिन्दुओं और मुस्लिमों के सर्वमान्य नेता थे।

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